मेरा पाप जिंदाबाद ,उसका पाप मुर्दाबाद !!
देश को बपौती समझने वाले लोग अपने पाप पर भी जिंदाबाद चाहे और किसी के काम
को सिर्फ मुर्दाबाद कहें तो किसे मुर्ख समझे ?उसको चुनने वाली जनता को या उसके
दोहरे चरित्र को ,तय करें क्योंकि समय आप हिन्दुस्तानियों से जबाब माँग रहा है।
कोई व्यक्ति खुद को स्वराज मानता है और अपने से बड़ों का अनादर भाषा से या हाव
भाव से करता रहता है तो उसे देश स्वराज माने या अराजकता ,तय करे और पुनर्विचार
करें क्योंकि यह देश कुछ लोगों कि जागीर नहीं है इसकी हर विचारधारा पर करोड़ों
भारतीयों का भविष्य बंधा है।
हजारों चूहे खाकर बिल्ली हज को चली ,क्या उसके बाद वह चूहे खाना बंद कर देती है ?
विधाता ने खून के रँग में फर्क नहीं किया मगर नेता अब सड़कों पर बह चुके खून को
अलग-अलग भाव से देखता है ,उसको दर्द नहीं होता इस बात पर कि खून बहा है उसे
दर्द है इस बात पर कि वह किसका बहा है !!
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