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29.12.16

मंत्री के कारिंदों ने डुबोई लुटिया

59 साल बाद इस सीट से चुनाव जीतने वाली दूसरी महिला विधायक होने का मौका मिला था। आस-पास सक्रिय सत्ता भोगी चौकड़ी ने मंत्री के आस-पास ड़ेरा डालकर गुटबाजी बढ़ाई, सरकारी कामों में कराई धांधली, क्षेत्र में खराब हुई छवि, विरोधियों ने जुटाये सबूत, चुनावों में बढ़ेंगी मुश्किलें और आलाकमान ने बदल दी सीट।  

कानपुर ग्रामीण क्षेत्रों की विधानसभा सीटें विशेष महत्व रखती है। उनमें से जी.टी रो इर्द- गिर्द स्थित विधानसभा सीट 1957 से ही अति विशेष महत्व वाली बनी है। इस सीट पर अब तक हुये 16 विधानसभा चुनाव सिर्फ दो ही महिलायें विधायक निर्वाचित हो पाई है। 1957 में कांग्रेस की ब्रजरानी देवी पहली बार विधायक चुनी गई थी या तो 2012 में समाजवादी पार्टी अरूण कुमारी कोरी ने जीत हासिल की थी। विधायक निर्वाचित होने के बाद अरूण कुमारी उत्तर प्रदेश सरकार मंत्री मंड़ल में एकलौती महिला मंत्री बनी।

मंत्री बनने के पहले तक मृदुस्वभाव मिलनसार आदत, गरीबों के प्रति विशेष लगाव सरल कार्यप्रणाली के चलते अरूण कुमारी की इस विधानसभा क्षेत्र के घर-घर तक विशेष पहचान व प्रशंसा हुआ करती थी। उनके मंत्री बनने के बाद क्षेत्र के लोगों को लगा की अब शायद विकास के जरिये किस्मत चमकेगी। यहां ये बताने की इस सीट पर जितने भी विधायक हुये वे सबके सब सत्तारूढ़ दलों के रहें। 2012 में बसपा के कमलेश चन्द्र दिवाकर से तकरीबन 1600 हजार वोट ज्यादा पाकर अरूण कुमारी ने ये सीट छिनी थी।

जनता परिवार का खाता तो यहां 1967 में ही खुल गया था और समाजवादी लहर भी यहां उठी थी। 1967 से 80 तक संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से दो बार और भारतीय क्रांति दल भारतीय लोक दल जनता पार्टी सेकुलर से चार बार मोती लाल देहलवी ने परचम लहराया। 1985 में कांग्रेस के हनुमान प्रसाद कुरील ने सीट छीन ली मगर 1989 में फिर मोती लाल देहलवी ने जनता दल का झंड़ा लहरा दिया। धुर समाजवादी शिव कुमार बेरिया 1991 और 1993 में यहां से विधायक हुये। मगर 1996 में वह बसपा के भगवती प्रसाद से हार गये। 2002 में फिर शिव कुमार बेरिया सपा से जीते लेकिन 2007 में बसपा के कमलेश चन्द्र दिवाकर ने उनसे सीट छीन ली। प्रदेश में बसपा की सरकार बनी।

कमलेश दिवाकर मंत्रीमंड़ल या अन्य किसी महत्वपूर्ण पद पर पहुंच तो नहीं पाये लेकिन काफी तेज तर्रार राजनीति करते रहे। विकास व निर्माण कार्यो में उनके चमचों ने जमकर धाधंली की, बन्दरबाट में लगे रहे जनता इंतजार करती रही। आखिर में 2012 में सपा की अरूण कुमारी को जिताकर जनता ने बसपा को सबक सिखाया। अरूण कुमारी से बहुत उम्मीदें थी। सपा ने भी इस सीट पर अपनी प्रतिष्ठा मानते हुये ये सोचकर अरूण कुमारी को मंत्री बनाया कि ईमानदार व एक काबिल महिला पार्टी की छवि को चमकायेगी मगर कुछ दिन बाद ही अरूण कुमारी के आस-पास एक ऐसी किचनकैबिनेट ने घेराबंदी कर ली। ऐसे स्टाफ में शिकंजा कस लिया कि अभी तक मंत्री उससे बाहर नहीं निकल पा रही है। शुरू में मंत्री बनते ही अरूण कुमारी ने जो तीखे तेवर दिखाये जिस तरह कार्य शुरू किया उससे प्रदेश में खलबली मच गयी चारो तरफ उनकी तारीफ होने लगी। धीरे-धीरे इसी किचनकैबिनेट ने जो उगाही का सिलसिला शुरू किया वह बड़े कामों से लेकर हैण्डपम्प नाली खडंजा के निर्माण जैसे छोटे कामों तक फैल गया बाते हाईकमान को मालूम होती रही उनके मंत्रालय के विभाग में भी कटौती करके उन्हें संदेश दिया गया। मंत्री ने संज्ञान भी लिया मगर उगाही बाजों का जाल तगड़ा था। मंत्री चाहकर भी बाहर नहीं निकल पायी।

यह रिपोर्ट छपने के बाद निश्चित तौर पर मंत्री अरूण कुमारी खेमे की तरफ से पत्रकारिता को कोसा जायेगा हो सकता है चेतावनी दी जाये। इस बात को झूठा आरोप लगाने की संज्ञा दी जाये। मगर 28 नंवबर 2016 को थाना बर्रा क्षेत्र से गिरफ्तार किये गये कथित पत्रकार जालसाज विवेक अवस्थी के बारे में मंत्री यही सफाई देगी कि वह विवेक अवस्थी को जानती थी, लेकिन कोई वास्ता नहीं था उसके किसी कारनामे से कोई लेना-देना नहीं है आदि-आदि। मगर सच्चाई यह जालसाज 2013 से ही खुद को मंत्री का पी.ए. तक बता रहा।

सपा ग्रामीण का अधिकृत प्रवक्ता रहा मंत्री के लगातार सम्पर्क में था रोज आना जाना था इसकी वी.आई.पी लिखी गाड़ी मंत्री काफिले में चलती थी। मंत्री का खास होने का पूरा विश्वास दिलाकर विवेक अवस्थी ने सैकड़ो लोगों को ठगा। एक बार दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री जगदेव सिंह यादव के खास रिश्तेदारों को काम करने के लिए पैसे ठगे जब उन्होेने जगदेव सिंह यादव से लिखित तहरीर देकर शिकायत की फिर एक दिन उन्हीं ठगे लोगों ने विवेक को पकड़ा और जगदेव सिंह यादव के यहां ले आये। ऐसे ठग को जो सरकार का नाम खराब कर रहा था जगदेव सिंह यादव ने किदवई नगर पुलिस को देने का  मन बनाकर इस्पेक्टर को सूचना दे दी। दर्जनो लोग गवाह है कि 10 मिनट के अंदर मंत्री अरूण कुमारी का फोन आ गया कि विवेक अवस्थी को पुलिस में न दिया जाये वह सबके मैटर सुलझवा देगी। और विवेक अवस्थी को छोड़ दिया गया। विवेक अवस्थी के घर मंत्री जी लाल बत्ती वाली गाड़ी लोगों ने देखी मंत्री जी इंकार करती रही सच्चाई थोड़ी बदल जायेगी। ऐसे ही न जाने कितने बटमारो ने मंत्री के इर्द-गिर्द रहकर पूरे बिल्हौर क्षेत्र में समाजवादी पार्टी को अच्छा खासा नुकसान पहुचा रखा है। जिसका खामियाजा 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना जरूर पड़ेगा। यहां से भाजपा की टिकट की दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री भगवती सागर व राहुल बच्चा ने कहां कि उनके पास मंत्री के किचनकैबिनेट के लोगों के कारनामों उगाही क्षेत्र के विकास में धांधली के सैकड़ों प्रमाण है।

कानपुर से रियल मीडिया के प्रधान संपादक पीयूष त्रिपाठी की रिपोर्ट- मो. 7839039079 


1 comment:

HindIndia said...

हमेशा की तरह एक और बेहतरीन पोस्ट के लिए धन्यवाद। ..... :) :)