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29.12.16

PM मोदी ने जिस जंगल सफारी का उदघाटन किया, वहां ब्लैक में बेचा जा रहा टिकट

अरे साहब... इतनी दूर से आये हैं। यूं ही वापस चले जायेंगे तो दिन भी बर्बाद हो जायेगा और परिवार वाले भी मायूस हो जायेंगे। थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा देंगे तो टिकट अरेंज कर दूं... चौंक गये? बातचीत के इस विस्तृत तरीके को हम 1 शब्द "ब्लैक" से बेहतर समझते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जुम्मा-जुम्मा शुरु हुये जंगल सफारी में इन दिनों ब्लैक में ही टिकट बेची जा रही है। कमाल की बात यह है कि फिल्मों की टिकट ब्लैक में बिकते सुना/देखा था। लेकिन सफारी या जू की टिकट ब्लैक होने पर आश्चर्य के ज्यादा दुःख होता है कि आम जनता की मजबूरियों का फायदा उठाने में लोग कितना गिर गये हैं। और यह सफारी वही है जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने किया है।


एक अख़बार में हुआ खुलासा...


जंगल सफारी में टिकट ब्लैक होने का खुलासा एक अख़बार की फीमेल जर्नलिस्ट श्रिया पाण्डेय ने किया है। खबर के मुताबिक एक परिवार को सिर्फ इसलिये टिकट नहीं दी गई क्योंकि वह कमीशन देकर खरीदने राजी नहीं हुआ। उस परिवार के मुताबिक टिकट काउंटर के पीछे से लोगों को टिकट मुहैय्या कराई जा रही थी। जिसके लिए एक्स्ट्रा पे करना पड़ रहा था। जब परिवार ने विरोध किया तो कभी उनको टिकट खत्म होने तो कभी समय सीमा समाप्त होने का हवाला देकर टरका दिया। इस घटना से सम्बंधित वीडियो भी बनाया गया है।

चलिये अब आपको बताते हैं यह खेल क्यों हो रहा है। दरअसल नये रायपुर के खडुआ जलाशय के करीब 300 एकड़ में बने जंगल सफारी को एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सफारी बताया जा रहा है। जाहिर सी बात है इसे लेकर लोगों में कौतुहल भी है और इसी कारण वे दूर-दूर से आते हैं। अब मान लीजिये कोई परिवार कार से 30 किमी दूर से आता है। ऐसे में लम्बा सफर और दिनभर की प्लानिंग करके निकले परिवार को जब किसी भी नियम का हवाला देकर टिकट नहीं दिया जायेगा तो वह दूसरे विकल्प तलाश करेगा। और दूसरा विकल्प है ब्लैक में टिकट लेना।

अब एक तरफ सफर में हुआ खर्चा और दूसरी तरह कुछ एक्स्ट्रा पैसा हो तो एक सम्पन्न परिवार दूसरा विकल्प झट से चुन लेता है। ऐसे परिवारों को टिकट मिल जाती है। लेकिन जो ब्लैक में नहीं खरीदते उनके लिए टिकट खत्म होने, समय सीमा खत्म होने जैसे कई नियम बता दिए जाते हैं। और अगर आप अधिकारी के पास गये तो वह बोलेगा हमारे तो संस्कार ही ऐसे नहीं कि टिकट ब्लैक करें। अब जहां संस्कारों की बात आ जाये वहां कुछ भी बोलना खामखां ही हो जाता है। बहरहाल अगर आप भी जंगल सफारी घूमने जाने वाले हैं तो या तो नियमों की किताब कण्ठस्त करके जायें या यह बात गांठ बांध लें कि आपकी जेब कटेगी ही।

आशीष कुमार चौकसे
पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और ब्लॉगर
ashishchouksey0019@gmail.com

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