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13.6.23

उस बर्बरतम प्लान को दुनिया होलोकास्ट के नाम से जानती है!

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-

हिटलर जब सत्ता में आया तो उसके समर्थक नाजीवादियों ने यहूदियों की अलग पहचान के लिए एक अनूठा तरीका अपनाया। इसके तहत, उस वक्त जर्मनी में यहूदियों के घरों और दुकानों पर क्रॉस लगाना शुरू कर दिया गया। यहूदियों को अपने हाथ पर एक अलग तरह का यहूदी स्टार बैंड भी बांधने का आदेश जारी कर दिया गया। जब इन तरीकों से हिटलर की सरकार ने यह जानकारी पुख्ता कर ली कि किस क्षेत्र में कहां, कितने यहूदी हैं तब शुरुआत हुई एक ऐसे बर्बर प्लान को अंजाम देने की, जिसे दुनिया होलोकास्ट के नाम से जानती है।  

होलोकास्ट इतिहास के सबसे बड़े नस्लीय नरसंहार में से एक माना जाता है। बहरहाल, सभी को पता है कि उस वक्त किस तरह पहले यहूदियों को जर्मनी से भगाने की कोशिश हुई। लेकिन पड़ोसी देशों ने जब उन्हें अपने यहां शरण देने से मना कर दिया तो हिटलर ने बाकायदा कैंप बनवा कर यहूदियों को वहां भेजना शुरू कर दिया। फिर गोलियों, जहर, चाकू, तलवार आदि हर सम्भव तरीकों से उनकी हत्याएं की जाने लगीं। 

इस तरह से लाखों हत्याएं करने के बावजूद कैंपों में यहूदियों की तादाद बढ़ती गई तो हिटलर ने जहरीली गैसों का इस्तेमाल करके एक साथ सैकड़ों- हजारों यहूदियों का नरसंहार शुरू कर दिया। बिना बेहोश किए उन यहूदियों पर उसी तरह मेडिकल प्रयोग होने लगे, जैसे लैब में चूहे और मेंढकों पर होते हैं। 

जर्मनी में जगह- जगह मौजूद कैंप में कैद यहूदियों को तब एक चोगे में रखा जाता था। उन्हें खाने और पीने के लिए भी न के बराबर सामग्री दी जाती थी। ऐसे कैंपों और पूरे जर्मनी में तब अंदाजन 60 लाख यहूदियों का नरसंहार हुआ। बाकी जर्मनी में बचे- खुचे यहूदियों को भी सड़कों पर हत्या, बलात्कार, लूटपाट आदि करके भगाने की घटनाएं होती रहीं। 

क्रॉस से शुरू हुई यहूदियों की पहचान के सिलसिले को हिटलर ऐसे बर्बर अंजाम तक पहुंचा कर भी नहीं रुका । उस होलोकास्ट के साथ साथ हिटलर ने अपनी बर्बर व नस्ल आधारित कबीलाई मानसिकता के चलते पूरी दुनिया को सेकंड वर्ल्ड वॉर में ढकेल दिया। 

नतीजा यह हुआ कि न सिर्फ 60 लाख यहूदी नरसंहार में मारे गए बल्कि वर्ल्ड वॉर में भी लगभग सात करोड़ लोग मारे गए। वर्ल्ड वॉर ने खत्म होने से पहले जापान में दो शहरों की पूरी आबादी को परमाणु बमों के विस्फोट में साफ कर दिया तो जर्मनी में भी लगभग पचास लाख लोग मारे गए। 

हिटलर ने हार और जर्मनी की तबाही के बाद अपने सिपहसालारों के साथ आत्महत्या कर ली और रूस व मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने जर्मनी पर कब्जा कर लिया।
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