----गंभीर बीमारी का इलाज करने के नाम पर किया जाता है धर्म परिवर्तन का खेल
----ग्रामीणों की माने तो अभी तक एक दर्जन से अधिक लोगों ने तोड़ चुका है दम
----इस भीषण गर्मी में हफ्ते में दो दिन लगती है दस हजार की भीड़, तेज धूप से बचने की नहीं है कोई व्यवस्था
कुशीनगर
यूपी बिहार सीमा के बगहा पुलिस जिला के धनहा क्षेत्र के दहवा प्रखंड
मुख्यालय से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर गोबरहिया गांव में ईसाई
मिशनरियों के द्वारा गंभीर बिमारी ठीक करने के नाम पर प्रार्थना सभा में
इलाज कराने आए एक वृद्ध की मौत हो गई है। जिसका पहचान गोपालगंज जिला निवासी
बबन सिंह उम्र लगभग 65 वर्ष के रूप में हुई है। ईसाई मिशनरियों द्वारा
आयोजित प्रार्थना सभा में यूपी के कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर
सहित बिहार के गोपालगंज, सिवान, छपरा, पश्चिमी चंपारण जिले के लोग शामिल
होते है। जहां पर इलाज के अभाव में बिमारी से ग्रसित लोग झाड़ फुक के चक्कर
में पड़कर अपनी जान गवा दे रहे हैं। ईलाज करवाने आए व्यक्ति की मौत होने
के बाद तत्काल प्रार्थना सभा को बंद करते हुए मौके से पास्टर फरार हो गया।
ग्रामीणों के अनुसार पिछले छह माह में लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी
है। पास्टर वैश्य राज राम उर्फ राजकुमार के द्वारा लगभग तीन वर्षो से
प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। प्रार्थना सभा में अपने लोगों के
द्वारा गवाही दी जाती है उस गवाही में पास्टर के लोगों के द्वारा इस बात की
गवाही दी जाती है कि हमें गंभीर बीमारी थी जोकि प्रार्थना सभा में शामिल
होने के बाद ठीक हो गया। प्रार्थना सभा में मौत होने का सबसे बड़ा कारण
इलाज के जगह पर लोगों को प्रार्थना सभा में शामिल होने का कारण बताया जा
रहा है। ग्रामीण मनोज शाह, वीरेंद्र चौधरी, रमेश यादव, मनोज गुप्ता, अकाश
कुमार के अनुसार उक्त गांव में ईसाई मिशनरियों के द्वारा गंभीर से गंभीर
बीमारी ठीक करने का दावा किया जाता है। गंभीर बीमारी ठीक करने के नाम पर
गरीब, अनपढ़, गवार लोगों का मतांतरण करने का खेल किया जाता है। मतांतरण में
यूपी के कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, गोरखपुर सहित बिहार के गोपालगंज,
सिवान, छपरा, पश्चिमी चंपारण जिले के लोग शामिल होते है। प्रार्थना सभा
सप्ताह में दो दिन गुरुवार और रविवार को लगाया जाता है। भीषण गर्मी और तपती
धूप से बचने की व्यवस्था नहीं होने के कारण उस व्यक्ति की मौत हुई है। अगर
झाड़-फूंक की जगह पर समय से किसी डॉक्टर से इलाज कराया गया होता तो, उसकी
जान बच सकती थी। अक्सर इस प्रार्थना सभा में समय से इलाज नहीं मिलने के जगह
झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ कर लोग अपनी जान गवा दे रहे हैं। प्रशासन भी
करवाई के बदले इनको शह दे रहा है। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि अन्य किसी
समुदाय का पर्व व त्यौहार मनाने के लिए अनुमंडल से लेकर थाना स्तर तक
लाइसेंस के साथ परमिशन लेना पड़ता है। जबकि दस हजार की संख्या में जुट रही
भीड़ के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं है। अगर समय रहते स्थानीय प्रशासन
के साथ जिला प्रशासन इस पर कानूनी कार्रवाई नहीं करती है तो समाज और देश के
लिए घातक साबित होगा। गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को तब तक प्रार्थना
सभा में शामिल किया जाता है जब तक वह अपने धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म को
मानने न लगे। इनका जाल थाना क्षेत्र के अन्य गांव से भी जुड़ा हुआ है। जहां
पर इस तरह का आयोजन किया जाता है। लेकिन पुलिस प्रशासन इनके प्रति मौन
धारण की हुई है। वही मृतक का बेटा पप्पू सिंह ने बताया कि अपने पिता को
इलाज के लिए लाए थे। लेकिन उनकी मौत हो गई है।
Akhilesh Anjan
akhileshanjan3@gmail.com
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