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14.6.23

वर्दी की लालच और ठसक ने योगी सिटी में ले ली एक और जान

सत्येंद्र कुमार-

गोरखपुर : जिस पुलिस को योगी राज में अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए फ्री हैंड किया गया था आज वही पुलिस अपने कारनामो से लोगों के बीच आतंक का पर्याय बनती जा रही है । सी एम सिटी के बांसगांव थानाक्षेत्र में आज उस वक्त एक व्यक्ति की मौत हो गयी जब पुलिस उस व्यक्ति के घर उसे पकड़ने पहुँची थी । 

बताया जा रहा है कि मृतक का अपने पाटीदारों से जमीनी विवाद चल रहा था । मृतक 308 आई पी सी के मुकदमे में वांछित था । प्रत्यक्षदर्शियों व परिजनों का कहना है कि बांसगांव थानेदार दीपक सिंह बार बार मृतक से एक लाख रुपये मांग रहे थे और कह रहे थे कि रुपये दे दो तो समझौता करा दूंगा । एक पार्टी ने रुपये दे दिए लेकिन मृतक रुपये नही दे पाया था । मुकदमे में वांछित होने के बहाने आज सुबह पुलिस मृतक के घर पहुँची और पुलिस ने दौड़ा कर उस व्यक्ति को पकड़ना चाहा। भागम भाग में जब मृतक जमीन पर गिरा तो पुलिस ने पहले उसकी वहीं पिटाई की। वहाँ की पिटाई से पुलिस का मन नही भरा तो फिर थाने ले जाकर उसकी आवभगत की गई । 

पुलिसिया क्रोध मुलजिम के भागने की वजह से बढ़ा हुआ था कि रुपये न देने की वजह से यह तो नही पता लेकिन पुलिसिया आवभगत इतनी ज्यादा कर दी गयी कि मृतक की तबियत बिगड़ गयी । तबियत बिगड़ने पर बांसगांव पुलिस ने मृतक को सरकारी अस्पताल भेजा जहाँ उसे मृत घोषित कर दिया गया । 
दूसरी तरफ बांसगांव सर्किल के पुलिस अधिकारी वही अपना पुराना पुलिसिया राग अलाप रहे हैं कि भागते वक्त मृतक की गिरने से मौत हो गयी है और पोस्टमार्टम कराया जा रहा है वगैरह..वगैरह । मतलब किसी जाँच से पहले ही बांसगांव पुलिस और थानेदार बांसगांव को क्लीन चिट दे दी गयी है । क्लीन चिट देने वाले यह भी भूल चुके हैं कि इन्ही बांसगांव थानेदार पर पहले भी एक क्षेत्रीय अपराधी को पैसे के लालच में संरक्षण देने का तथा उस अपराधी को बचाने के लिए अदालत के सामने गलत रिपोर्ट पेश करने का आरोप लगा था । इस मामले की जाँच वर्तमान एस पी सिटी गोरखपुर द्वारा की गई थी । उस जाँच का क्या हुआ किसी को कुछ नही पता । बस इतना पता है कि जाँच कराने वाले व्यक्ति से पलिस ने निजी खुन्नस पाल ली तथा जाँच अधिकारी एस पी सिटी ने जाँच कराने वाले व्यक्ति को उसके बयान की रिसविंग तक देना भी उचित नही समझा । नतीजतन जाँच ठंडे बस्ते में डाल दी गयी । अगर उस वक्त यह जाँच सही तरीके से हो जाती तो आज शायद मृतक का परिवार अनाथ होने से बच गया होता !

उपलब्ध तस्वीरें तथा स्थानीय सूत्र बताते हैं कि दीपक सिंह थानेदार का हौसला इसलिए इतना ज्यादा बुलंद होता गया क्योंकि यहां के एक बड़े स्थानीय समाचार पत्र के पत्रकार से उनकी बड़ी घनिष्टता रही है । अक्सर ये तमाम बड़के स्थानीय पत्रकार थानेदार दीपक सिंह की निजी पार्टियों में शरीक होते कैमरों में कैद हुए हैं । इसी घनिष्टता का असर रहा है कि तमाम थ्री स्टार लोग साहब के कार्यालय में फाइलें ढोते रहे और दीपक सिंह टू स्टार होते हुए भी आउट ऑफ टर्म जाकर थानेदारी की मलाई काटते रहे ।
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1 comment:

Anonymous said...

Akhir aam insan kare to kya kare. Sarkar, jo janta se banti hai usase kuchh kaha nahin ja sakta kyonki usase milne ke liye badi pahchan hona zaruri hai aur uske hukmaran unse milne nahin denge kyonki usame uska koi niji labh nahi hota hai. Is sthiti me aam insan ko kya karna chahiye? Pulisiya gundaraj men Ye bada sawal banta ja raha hai.
Jai hind