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17.1.24

बोकारो में प्रशासन की मेहरबानी से तय मूल्य से ज्यादा पर बिक रही है शराब!

किसी भी वस्तु या सामग्री के निर्माण सहित दुकानों तक पहुंचने वाले सामानों का मूल्य कर सहित उस वस्तु पर अंकित होता है इसके लिए बाकायदा राज्य या केंद्र सरकार द्वारा नियमावली बनाई गई है. कोई भी वस्तु मिनिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) एवं मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) के अंतर्गत आता है. इससे ज्यादा की कीमत ग्राहकों से वसूलने पर संबंधित दुकानदार पर कार्रवाई का प्रावधान है परंतु झारखंड के बोकारो जिले के शराब दुकानों में जिस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. 


यह किसी से छुपा नहीं है ऐसा भी नहीं है कि इस पूरे मामले की खबर संबंधित विभाग के हुक्मरानों को नहीं है परंतु संबंधित अधिकारी सहित विभाग इस पूरे मामले पर पूरी तरह से मूकदर्शक बना बैठा हुआ है, एक तरफ जहां ग्राहकों को मिले अधिकारों का हनन झारखंड में शराब दुकानदारों के द्वारा किया जा रहा है वहीं जिम्मेदारों का इस पूरे मामले पर खामोशी से बैठना गले से नहीं उतर रहा है. 

आखिरकार झारखंड में प्रशासनिक अमला इतना बेबस क्यों है? यह तो वही बता सकते हैं परंतु एक बात तो साफ है कि इस पूरे मसले पर नुकसान सिर्फ मदिरापान करने वाले ग्राहक को ही उठाना पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं बोकारो जिले के विभिन्न क्षेत्र में संचालित होने वाली सरकारी शराब दुकानों की जहां शराब के शौकीनों के द्वारा हमसे संपर्क कर संबंधित मामले की बात रखी गई जिसमें ग्राहकों का कहना है कि बोकारो, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह, लातेहार, समेत राज्य की राजधानी रांची जिले में आरके नामक एजेंसी द्वारा संचालित होने वाली समस्त शराब दुकानों में तय मूल्य से ज्यादा दर पर शराब बेची जा रही है. 

मनमाने दाम पर हो रही है शराब की बिक्री

बोकारो जिला मुख्यालय सहित राज्य के विभिन्न सात जिले बोकारो, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग, गिरिडीह, लातेहार,और राज्य की राजधानी रांची जिलों में संचालित होने वाली जगहों पर मदिरा दुकानों में बेची जा रही शराब निर्धारित मूल्य से 10 रुपए से 50 रुपए तक ज्यादा दर पर भेजी जा रही है. एक तरफ जहां शराब बिक्री करने वालों के लिए यह आदेश मद्य निषेध विभाग के सचिव का था कि संबंधित शराब विक्रेता दुकानों के बाहर ब्रांड एवं उसका मूल्य बोर्ड पर चस्पा करेगा ताकि दुकानों पर अवैध वसूली नही हो परंतु यह अभी तक प्रचलन में नहीं आ सका है, संबंधित नियमों को ठेंगा दिखाते आरके नामक एजेंसी के द्वारा संचालित होने वाले दुकानदारों के द्वारा शराब के विभिन्न ब्रांड पर निर्धारित मूल्य से 10 से 50 रुपए ज्यादा दाम ग्राहकों से वसूला जा रहा है. पूर्व में कई बार शराब की मनमाने दामों पर बिक्री को लेकर भी खबरें प्रकाशित की जा चुकी है परंतु शायद बोकारो जिला प्रशासन सहित बोकारो जिला के आबकारी अधिकारी इस बात से कोई भी इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि मदिरा दुकानों में क्या खेल चल रहा है. काफी अनियमितताओं के साथ संचालित होने वाली शराब की दुकानों पर विभागीय मेहरबानी संबंधित दुकान संचालकों की मिली भगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. 

इतना ही नहीं ग्राहकों को शराब खरीदने के बाद दुकानदारों के द्वारा बिल तक मुहैया नहीं कराया जाता है जबकि शासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश है कि ग्राहकों को बिल दिया जाना चाहिए यह बात अलग है कि विभाग के द्वारा विक्रेताओं को पर्चियां तक उपलब्ध कराई गई हैं ऐसे में पर्चियो की उपलब्धता होने के बावजूद भी ग्राहकों को बिल उपलब्ध ना होना किसी और की तरफ इशारा कर रहा है अधिकतर शराब दुकानों के संचालकों के द्वारा अभी भी इस पूरे काम को बेखौफ होकर अंजाम दे रहे हैं. चाहे कुछ भी हो जाए तो सिर्फ ग्राहकों की ही कटनी होती है.

जानिए क्या कहतें हैं नियम? 

बाजार में उपलब्ध वस्तुओं को लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं जिसमें से प्रमुख है पैकेज्ड कमोडिटीज नियमावली के नियम 6(1) (ई) में कहा गया है कि खुदरा बिक्री के लिए हर पैकेज पर खुदरा बिक्री मूल्य का उल्लेख होता है. नियम 2 (एम) "खुदरा बिक्री मूल्य" को अधिकतम मूल्य के रूप में परिभाषित करता है जिस पर वस्तु को अंतिम उपभोक्ता को बेचा जा सकता है और मूल्य एमआरपी के रूप में मुद्रित किया जाएगा जो सभी करों सहित है. नियम 18(5) यह भी कहता है कि कोई भी थोक व्यापारी या खुदरा विक्रेता निर्माता या पैकर या आयातक द्वारा इंगित खुदरा बिक्री मूल्य को मिटा, धुंधला या परिवर्तित नहीं करेगा. सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान पर आते हैं. नियम 18 (2) कहता है, "कोई भी खुदरा व्यापारी या निर्माता, पैकर, आयातक और थोक व्यापारी सहित अन्य व्यक्ति किसी भी वस्तु की बिक्री उसके खुदरा बिक्री मूल्य से अधिक मूल्य पर पैक किए गए रूप में नहीं करेगा. एमआरपी से अधिक कीमत पर बेचना पैकेज्ड कमोडिटीज नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है. 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत भी एमआरपी से अधिक कीमत पर सामान बेचने वाले खुदरा विक्रेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी जा सकती है हालांकि इसके लिए ग्राहकों के पास वस्तु का बिल का होना अनिवार्य है. परंतु शराब के मामले में तो ग्राहक पूरी तरह से ठगा महसूस कर रहा है एक तरफ जहां जिम्मेदार प्रशासन मौन धारण किए हुए हैं वहीं दूसरी तरफ ग्राहकों को बिल ना मिल पाने की वजह से वह उपभोक्ता न्यायालय की शरण में भी नहीं जा पा रहे हैं. हालांकि नियमों के उल्लंघन पर कानून में जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. 

आइए बताते हैं क्या है विभाग के हुक्मरानों का कहना?

सम्बंधित मामले में आबकारी अधिकारी से जानकारी लेने के लिए संपर्क किया गया तो आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर संजीत देव ने बताया कि ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो सरकार द्वारा संचालित दुकानदार अवैध वसूली कर सकता है अगर इस तरह की शिकायत है और जिस तरह से अवैध वसूली का वीडियो प्राप्त हुआ संबंधित दुकानदार के साथ कार्रवाई की जाएगी. उपभोक्ताओं के अधिकार का हनन बर्दास्त नहीं किया जायेगा. 

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