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28.1.24

योगी के गोरक्षपीठ द्वारा राममंदिर हेतु संघर्षों को बताती शशि प्रकाश की डाक्यूमेंट्री वायरल

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सौरभ सिंह सोमवंशी, लखनऊ-.

योध्या के भव्य श्री राम मंदिर हेतु नाथ पंथ के अति प्राचीन मठ गोरक्ष पीठ के संघर्षों को बताने वाली शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह की डॉक्यूमेंट्री लगातार सोशल मीडिया  पर वायरल हो रही है। जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह से भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो वर्ष पहले 1855 में ही गोरक्ष पीठ ने राम मंदिर के लिए संघर्ष प्रारंभ कर दिया गया था जो वर्तमान पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में जाकर पूर्ण हुआ है। 

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की किस तरह से योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ ने 1949 में रामलला की मूर्तियों के प्रकटीकरण के दौरान राम मंदिर निर्माण की पृष्ठभूमि तैयार की उसके बाद उनके शिष्य और योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ ने मामले को आगे बढ़ाया और योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उसका परिणाम आ रहा है। 

डाक्यूमेंट्री के निर्माता ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके प्रख्यात शिक्षाविद् शशि प्रकाश सिंह ने बताया कि डॉक्यूमेंट्री के सिलसिले में उन्होंने कई किताबों का अध्ययन किया व नाथ पंथ के विशेषज्ञों, मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोगों व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ काम कर रहे कई अधिकारियों समेत विभिन्न लोगों से उन्होंने बातचीत किया और एक शोधपरक व प्रामाणिक डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया है। 

शशि प्रकाश की डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की किस तरह से 1949 में अयोध्या के तत्कालीन जिला अधिकारी के के नायर लाल टेनिस खेलने के शौकीन थे, वे दिग्विजय नाथ से प्रभावित थे। किस तरह से महंत अवैद्यनाथ नाथ द्वारा 1986 में ताला खुलवाने के लिए वीर बहादुर सिंह के साथ उनकी बैठक हुई थी। इसके अलावा दलित जाति के कामेश्वर चौपाल से शिलान्यास महंत अवैद्यनाथ के कहने पर ही करवाया गया था।  

डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है की योगी आदित्यनाथ की गोरक्षपीठ ऊंच नीच, जात पात व भेदभाव को नहीं मानती है व सबको साथ लेकर चलने वाली पीठ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका फोर्ब्स की सुर्खियां बन चुके शशि प्रकाश सिंह ने कोरोना काल में 2100 छात्रों की आर्थिक मदद की थी, शशि प्रकाश सिंह को पद्मश्री के लिए नामांकित करने हेतु कई सांसदों ने गृहमंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।

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