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28.1.24

चार सौ पार के लिए सरयू की रवानी बुला सकती है, जिनको मां गंगा ने बुलाया था!

ओम प्रकाश सिंह- 

भाजपा जिन मुद्दों पर बनी थी, उसमें तीन सौ सत्तर के साथ राम मंदिर प्रमुख मुद्दा था। राम मंदिर आंदोलन के उफान ने ही पिछले लोकसभा चुनाव में कभी दो सीट पर सिमटी रहने वाली भाजपा को उठाकर थ्री नाट थ्री तक पहुंचा दिया था। अब मंदिर भी बन चुका है। इस बार नारा भी चार सौ पार का है। राम दर्शन यात्रा के बहाने भक्ति के ज्वार को सुनामी बनाने की योजना है। भाजपा की रणनीति अयोध्या से किसी बड़े चेहरे को लड़ाकर पूरे देश में राममंदिर निर्माण को भुनाने की है।

सांस्कृतिक उत्थान के संकल्प वाली भाजपा का जब व्यवसायियों से गठजोड़ हुआ तो नरेंद्र मोदी को गंगा ने बनारस बुला लिया था। उस बुलावे के बाद बड़े-बड़े व्यवसायी काशी आ गए। शिव नगरी में तोड़फोड़ का तांडव हुआ और अंत में विकास का प्रतीक गंगा विलास, गंगा की गाद में जाकर फंस गया। यही नहीं अडानी अंबानी जैसे व्यवसायियों के चक्कर में भाजपा के संकल्प उलझ कर रह गए। अब भाजपा को अपने संकल्पों को भुनाने के लिए गंगा की गाद नहीं ज्यादा पानी वाले नदी की रवानगी चाहिए। राम नगरी अयोध्या की सरयू नदी में पानी और रवानी दोनों बहुत है। सांस्कृतिक उत्थान के नाम पर देश में माहौल बनाने के अवसर भी प्रचुर मात्रा में अयोध्या उपलब्ध करा देगी। ऐसे में भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि पतित पावनी सरयू में उनकी नाव चल सकती है।

अयोध्या में बन रहे राममंदिर का उद्घाटन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दिया है। इसके पहले राम मंदिर का शिलान्यास फिर दीपोत्सव में मोदी की भागीदारी संयोग नहीं बल्कि भाजपा की खास रणनीति का हिस्सा है। रामनगरी व राम से जुड़े स्थलों के विकास के लिए हजारों करोड़ की  योजनाएं ठेल दी गई हैं। दो साल पहले जब अयोध्या विजन का डॉक्यूमेंट प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री ने दिया था तो प्रधानमंत्री ने कहा था कि अयोध्या का ऐसा विकास हो जिसमें युवा अपना योगदान दें। प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार रामनगरी अयोध्या विकसित हो रही है। विजन डॉक्यूमेंट में वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के साथ अयोध्या को समस्त आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बात कही गई थी। 

सूत्रों के अनुसार यह सब अयोध्या से किसी बड़े नेता को लोकसभा चुनाव लड़ाने की कवायद भी है। बड़े नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की चर्चा चल पड़ी है। जिस तरह से प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम को सेलीब्रेट किया गया है उससे  लगता कि भाजपा एक बार फिर राम के सहारे है और पूरे चुनाव का केंद्र बिंदु अयोध्या ही होगी। विपक्ष की बढ़ती ताकत से भाजपा मुतमईन है। उसमें सेंध लगाने के लिए हर हथियार इस्तेमाल किए जा रहे हैं। दक्षिण भारत से भाजपा का सूपड़ा साफ होने के बाद भाजपा और उसके चाणक्य के लिए तीसरी बार दिल्ली की सत्ता हथियाने के लिए अब उत्तर भारत ही आसरा है। इसमें भी यूपी सबसे अहम है। राममंदिर उद्घाटन पर  संघ प्रमुख मोहन भागवत के भाषण ने आगे की रणनीति की रचना भी कर दिया है। सब कुछ ठीक रहा तो सरयू उन्हें बुला सकती है जिन्हें कभी गंगा ने बुलाया था।

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