Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

11.4.08

ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो

भड़ास पर लिखना मैंने अपने दैनिक व्यायाम में शामिल कर लिया है। इसके जरिए मैं समकालीन सच से साक्षात्कार करता हूं और अपने समय-सापेक्ष मित्रों के जजबातों से भी परिचित होता हूं। उनकी राय मेरे लेखन का पैमाना है। मुझे खुशी है कि मेरा लिखा अचीन्हा और अनदेखा नहीं जाता,जागरूक मित्रों द्वारा नापा-तोला भी जाता है। इस संदर्भ में आभारी हूं-भाई अबरार अहमद, अनिल भारद्वाज,डा.रूपेशश्रीवास्तव,मनीष राज, रजनीश.के.झा,सुश्री जयाका और कमला भंडारी का जिन्होंने मेरी गजल को तवज्जो दी। इस पर तो मैं यही कह सकता हूं कि ऐहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तो,ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो,खैर.. इसी कड़ी में कुछ अशआर और पेश करता हूं-
पानी भी नहीं पूछता कोई लिहाज में
तहजीब कैसी आई है देखो समाज में
पढ़ने के बाद भी मिली न नौकरी जिन्हें
सल्फास खा रहे हैं मिलाकर अनाज में
दिया करेगा रोशनी मंदिर मजार पर
करता कहां है फर्क ये पूजा-नमाज में
तहजीब के बदन में है शर्मो-हया की रूह
एक नूर-सा झलका है घूंघट की लाज में
नीरव बदन पर उनके अदाओं की है कमीज
जलवों के हैं बटन लगे नखरों के काज में।
पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६
जय यशवंत। जय भड़ास।

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पंडित जी,ऐसे ही कठोर काव्य व्यायाम करते रहे तो फिर हम लोग कविता और गज़ल आदि पद्य विधाओं का WWF छाप मुकाबला रखेंगे और यकीन है कि हमारे खली दि ग्रेट तो आप ही रहेंगे...

Anonymous said...

nirav da,aaj ke vibhats maahaul mein aap jaise vishaal hriday ke swami ki chhaaya yuvaon kaa margdarshan karti hai.

aap aise hi aashirvad dete rahie ,hame bal milta rahega.

VARUN ROY said...

पं नीरव जी,
मैं भड़ास पर कदरन नया हूँ. अब खली दि ग्रेट(जैसा कि रूपेश भाई ने आपको माना) की रचनाओं पर मेरा जैसा सत्तू पहेलवान क्या बोलेगा. मेरी तो ऐसे भी बोलती बंद रहती है, गाहे बगाहे कलम जरूर चल जाती है, वो भी साथी भड़ासियों की हौसलाफजाई की बदौलत. पर आपके बेबाक अंदाज और विषय का कायल हूँ. मैं तो समझता हूँ कि वो तो फ़िर भी लकी हैं जिनके पास सल्फास मिलाने के लिए अनाज है. यहाँ तो बदनसीब लोग अनाज के बिना मर रहे हैं.
वरुण राय

अनिल भारद्वाज, लुधियाना said...

Comparative study of water and unemployement in these line force the reader to cry on present scenerio of the society or lift weapons to change the system.Poetry of Suresh Neerav is like a solider who sheds his blood for the nation.Neeravji aap sangrash karo hum apke saath hai.
Suresh Bhai,Yashwant bhai Zindabad.