कल लोकसभा की बत्ती बुझ गयी, वो भी बुझाइ गयी स्पीकर साहब द्वारा अब इन स्पीकर सोमनाथजी को कोई बताये कि बत्ती बुझाने से बच्चे तो डर सकते हैं, हमारे माननीय सांसद नहीं.
वैसे क्या आपको लगता है, कि प्रधानमंत्री को विपक्ष के सवालों का जवाब देने कि बजाय ऐसी बच्कानी हरकतो से विपक्ष चुप हो जायेगा?
और क्या शोर मचाने वाले सांसदो को चियरलीडर की उपाधी देना उनका मजाक उडाना नहीं है? चाहे चियरलीडर मसले पर आपका पक्ष कोई भी हो लेकिन एक मुद्दा उठाने वाले का उसी मुद्दे को लेकर चिडाना, लोकसभा के सभापती को तो शोभा नहीं देता है,
अगर आपको लगता है कि आप संसद को नहि चला पा रहे तो किसी और को ये जिम्मेदारी दीजिये लेकिन कम से कम सांसदो का और संसद का इस प्रकार मजाक मत बनाइये।
29.4.08
लोकसभा की बत्ती गुल!!
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2 comments:
भाई कमाल है,
चलो हमारे लोकसभा अध्यक्ष महोदय को कुछ तो ख्याल आया देश का, इसी बहने हमारे देश के संसद और सांसद को पता चला की अंधेरे में देश कैसी है।
चुतिये के चौरे गांड हमारे ये सांसद। साले कहने को तो बहूत कुछ कह जाते हैं मगर बाद में बाप बनते रहते हैं, मुझे तो लगता है की जहाँ सांसद बैठते हों वहाँ सबको एक एक डिबिया देकर करवाही करानी चाहिए।
वैसे भाई अध्यक्ष महोदय ने एक ग़लत उदाहरण दिया चियरलीडर का , ये सांसद का नही अपितु इन मेहनतकश चियरलीडर का अपमान है।
जय जय भडास।
भइया,सर्वप्रथम तो रजनीश भाई की जै हो जिन्होंने इतना सुन्दर टिपिआया है कि सारी बात ही पूरी हो गयी। हो सकता है कि अध्यक्ष महोदय ने सुना हो कि कितने भी गंदे बच्चे हों अंधेरे में डर जाते हैं इस लिये ये टोटका आजमा रहे होंगे....
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