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22.4.08

भगवान् बसते है कहाँ



जब निकलती हूँ गलियों मै
देखती हूँ की
हजारो की संख्यावो मै
मन्दिर बसते हैं
पेडो की तलियो मै
बड़ा अच्छा लगता है की
भगवान् है हर जगह
श्रद्धा से सिर
खुद ही झुक जाता है
उन पेडो की तलियो मै
चार ईट लगा दिए और
बन गया मंदिर
जगह - जगह गलियों मै
पर आज दुख होता है
बहुत देखकर यह की
कूड़े के ढेर पड़े है
नालिया बह रही है
उन मंदिरों की गलियों मै
नमन सब करते है
फूल और कुछ
चढावा भी चढाते है
पर कोई नही तैयार
सफ़ाई के लिए
झाडू मारे गलियों मै
लोग भी क्या खूब है
की दान देते है हजारो
बडे मंदिरो मै
श्रद्धा दिखाते है पर
अपने घर के आगे वाली
गली के मंदिर मे

झांकते भी नही
और
सरकार भी तो खूब है
बडे मंदिरो की देखभाल के लिए
जुटी रहती है हमेशा
पर गलियों के मंदिरो की

कीमत कोई नही
अरे ! क्या भगवान् केवल
बडे मंदिरो मै दर्शन देते है
और छोटे मंदिरो का क्या
क्या उन्हें यू ही छोड़ देते है
नही ना !
भगवान् तो बसते है हर जगह
तो फिर क्यों ये
दिखावा और भेद भाव है
और जब तुम
दिखावा और भेदभाव करोगे
तो सच्चे भगवान् को
कैसे पावोगे ।

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