सोने के पिंजरे से लोग यदाकदा मुक्त होते रहे हैं। चाहे व्यवस्था से समझौता करके या फिर व्यवस्था को ठेंगा दिखाकर। लेकिन इस बार, बस एक महीने के भीतर थोक के भाव से पत्रकार ईटीवी को अलविदा कहने को तैयार हैं । करीब 40 पत्रकार बंधु मई के पहले हफ्ते में ईटीवी छोड़ देंगे। ये अपने आप में एक क्रांति है। खबर दिलचस्प है, त्रिवेणी ग्रुप का नेशनल के साथ साथ रिजनल चैनल भी आने वाला है। जाहिर है थोक के भाव से पत्रकारों की जरूरत भी होती। त्रिवेणी ग्रुप ने आव देखा न ताव हैदराबाद में कैंप लगा दिया। जी हां कैंप। ईटीवी के कर्मठ पत्रकारों को इसकी सूचना दे दी गई कि आप अपने रिज्यूम के साथ इस कैंप में पधारें। हुआ भी ऐसा ही, सभी रिज्यूम लेकर पहुंचे और इंटरव्यू दिया। मैनेजमेंट को पता चला तो पनिशमेंट के तौर पर कई लोगों की नाईट शिफ्ट लगा। लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सके, क्योंकि मैनेजमेंट अबकी बार मजबूर था। कार्रवाई किसके खिलाफ करता ? ईटीवी के हिंदी में कुल चार रिजनल चैनल है- राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार। और जब कैंप लगा तो चारों चैनलों के डेस्क इंजार्ज से लेकर इनपुट इंचार्ज और ट्रेनी तक अपनी मुक्ति के लिए त्रिवेणी के द्वार पहुंच गए। आखिरकार त्रिवेणी ने करीब 40 लोगों को चुना। सभी लोगों को ऑफर लेटर मिल चुका है। हैदराबाद से कुछ लोग दिल्ली में अपने पहचान वालों को कमरा ढूढने तक कह चुके हैं। जिन लोगों से मेरी बात हुई है उन्हें सात मई तक ज्वाईन करने को कहा गया है।
चुने गए लोगों में कई लोग ऐसे हैं जो ईटीवी में अपना BOND पूरा कर चुके हैं। जहां तक मैं जानता हूं पच्चीस ऐसे लोग हैं जिनका BOND अभी पूरा नहीं हुआ है। और सबके ऑरिजनल सर्टिफिकेट ईटीवी में जमा है। उम्मीद है अब क्रांति होगी। देखें तो सही अब ईटीवी एम्पायर क्या करता है और कितने लोगों के खिलाफ कोर्ट में जाता है।
22.4.08
अब क्रांति होगी !
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