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6.3.09

चाभी..................आरती "आस्था"


जैसे तालों को खोलने के  लिए

होती हैं  चाभियाँ

काश वैसे  ही होती  चाभियाँ

परत-दर-परत  चेहरों  को खोलने के लिए भी

 तब सहज होती

अपने- पराये की पहचान

तब न कदम-कदम पर

छले जाते हम

और न दोष  देते किस्मत  को .............|

1 comment:

सौरभ आत्रेय said...

अच्छा है. भड़ास निकालने का अच्छा स्थान है