साथियों एक शहादत दिवस और निकल गया मै बात कर रहा हूँ अपने शहीदे आज़म सरदार भगत सिंह की लेकिन हमारे देश की मीडिया को इतनी फुर्सत कहाँ की वो इन शहीदों को श्रधांजलि दे सके वो तो टाटा का सपना छापने में लगे रहे और जो दिखाने का काम करते हैं वो दिखाते रहे और इनको शहीद दिवस से क्या लेना देना जब जनता ही अपने शहीदों याद नहीं करना चाहती तो भला प्रेस क्यों अपनी जेब इनकी वजह से हलकी होने दे जितना पैसा टाटा की नैनो दे रही है उसका प्रचार करने में उतना ये शहीद कहाँ से..
25.3.09
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