धूप के सिक्के
धूप के सिक्के उठा कर् गुनगुनाने दो उसे
बैंगनी कंचे हथेली पर सजाने दो उसे
भोली भली भोली भली भोली भली रहने
दो ज़िन्दगी को ज़िन्दगी को ज़िन्दगी को बहने दो
बारूद जब बच्चा था वो तितली पकड़ता था
वो अमिया भी चुराता था पतंगों पर झगड़ता था
अगर तुम उसका मंजा लूटते तो वो कुछ नहीं
कहता थोडा नाराज़ तो होता मगर फिर भी वो खुश रहता
मगर धोके से तुमने उसका बचपन भी तो लूटा है
ज़रा देखो तो उसकी आँख में वो कबसे रूठा है
जुगनुओं की रौशनी में दिल लगाने दो उसे
धुप के सिक्के उठा कर् गुनगुनाने दो उसे ............
21.3.09
प्रसून जोशी का नया गीत
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2 comments:
बहुत खूब लिखते है आप
जुगनुओं की रोशनी में दिल लगाने दो उसे
क्या खूब कहा है आपने
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