हवाओ में घुला होता है
आपके दिमाग में जो चलता रहता है
दिमाग को सोच समझ खोला करिए दोस्तों के सामने ।
दुश्मनों तक बात
दोस्त ही पहुचाते है ,
यह हम नही इतिहास कहता है ।
इतिहास अगर आप दोहराना चाहते है
तो दोहराइये, मगर हम तो
आपको सलाह देगे आज
माने या न माने आप
माधवी श्री
21.3.09
एक कविता
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