वोह रिक्शा चलाने वाला काशीपुर के एक मोहल्ले मैं रहता है। उसकी बात इस लिए करनी पड़ रही है की उसकी उमर ८० साल से भी ज्यादा हो गई है। नौ लड़किओं मैं से सात की शादी कर दी है रिक्शा चला कर पर उनमे से तीन के पतिओं की मौत हो जाने के कारन यह लड़किआं भी अपने बाप के घर वापिस आ गई हैं। कोई किसी की मदद नही है। अब दस जनों की रोटी की जिमेवारी इस पर है। टुटा हुआ रिक्शा है। वजनदार सवारी हैं। पर शाम को फिर भी सभी को भर पेट खाना नहीं मिल पता । इसका भी हल इस अस्सी साल के रिक्शा चालक ने निकल लिया है की एक दिन पाँच सदय्सों को ही खाना मिल पायेगा। ऐसे ही यह हद्दिओं का ढांचा बना रिक्शा पुलर अपने परिवार को चला रहा है। क्या येही इंडिया शाइनिंग है। कोई क्यों इसकी मदद नहीं कर पत्ता। जिसे भी इस रिक्शा चालक से मिलना हो काली बस्ती काशीपुर में चले जाओ। और असली भारत की तस्वीर देखो।
25.3.09
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3 comments:
जीवन में हमारे सामने कई तरह के सवाल आते हैं... कभी वो अर्थ के होते हैं... कभी अर्थहीन.. अगर आपके पास हैं कुछ अर्थहीन सवाल या दें सकते हैं अर्थहीन सवालों के जवाब तो यहां क्लिक करिए
aapaki post ne mujhe kaaphi prabhawit kiya..thanks
I got my self ready to comment on your post it initself suggests that there is certainly something mentioned which is touching,
but again we all are so incapacitated with all our social and personal obligations that we are unable to help those who need help the most. Behind helping also we tend to derive some kind of publicity or a way to satisfy ourselves. SO my friend he is good enough to support his family.
I dont think that we as a whole society could do any good to him.
but again I heartily appreciate the fact that you stood up and posted something for a common cause.
Ankit Mathur...
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