चुनाव में इस बार 1000 से ज्यादा दल भाग ले रहे है, इससे एक बात तो स्पष्ट है कि आधे को तो हारना ही है। क्या जनसेवा की सोच या मलाई की सोच। इस दल दल की राजनीति के दलदल में भारतीय लोकतंत्र की क्या हालत होगी।
27.3.09
अरे बाप रे इतने दल
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