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14.3.09

जल्दी आओ न प्रभु

विनय बिहारी सिंह

(परमहंस योगानंद जी की कविता से प्रेरित होकर)

मेरी रगों में दौड़ता खून

मेरे दिल की धड़कन,

मेरा मन, मेरी बुद्धि, मेरी आत्मा

तुम्हीं तो हो भगवन

हां, तुम्हीं तो हो।

मेरी हर सांस, मेरी हर याद

मेरा सब कुछ ,

प्रभु तुम्हीं तो हो।

कब आओगे भगवन

कब दोगे दर्शन

अब नहीं सहा जाता ।।

जल्दी आओ न प्रभु,

मेरे प्रिय आओ,

खुला है मेरे हृदय का द्वार

और खुला रहेगा हमेशा

बहुत करा लिया इंतजार

आओ प्रभु, करो न देर

मेरे प्रियतम, आओ।।

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