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7.3.09

कांग्रेस की नींद khrab

अकाली-बसपा की सोशल इंजीिनयिरंग से कांगरेस की नींद
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पंजाब में अकाली दल और बसपा की सोशल इंजीनियरिंग ने कांगरेस की नींद हराम कर दी है। िजस तरह से बसपा और अकाली दल ने अब तक लोकसभा सीटों पर उममीदवारों की घोषणा की है इससे कांगरेस की हालत खराब हो सकती है। पिछली सारी परंपरा को तोड़ते हुए इस बार अकाली दल ने पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग को फालो किया है। पहली बार अकाली दल ने दो उममीदवार पिछड़ी जाति से खड़ा कर कांगरेस को झटका दिया है। जबकि बसपा ने भी दो उममीदवार पिछड़ी जाति से खड़ा कर कांगरेस की नींद हराम कर दी है। इस बार अकाली दल ने फिरोजपुर और खडूर साहिब से पिछड़ी जाति के उममीदवार उतार कर कांगरेस को पूरे पंजाब में चुनौती देने की कोशिश की है। अकाली दल ने खडूर साहिब से रतन सिंह अजनाला को खड़ा किया है जो पहले भी सांसद रह चुके है। जबकि फिरोजपुर से शेर सिंह गुबाया को खड़ा कर कांगरेस को पूरी परेशानी में डाल दिया है। शेर सिंह गुबाया राय सिख है। वहीं बसपा ने आनंदपुर साहिब से गुजर उममीदवार उतारा है। जबिक खडूर साहिब से सुरेंदर सिंह साही को उतारा है जो पिछड़ी जाति से संबंधित है। कांगरेस के लिए परेशानी यह बढ़ गई है कि पंजाब में २२ परतिशत अबादी पिछड़ी जाति से संबंधित है। इनकी आबादी आनंदपुर साहिब, पटियाला, संगरुर, फिरोजपुर में अचछी है। पर दिलचसप सिथति यह है कि कांगरेसी नेताओं दवारा आवाज उठाए जाने के बाद भी फिलहाल पिछड़ी जाति की उममीदारी पर कांगरेस ने गंभीरता से विचार शुरू नहीं किया है।दिलचसप बात है कि कांगरेस ने १९८० के बाद कभी भी पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों पर गंभीरता से विचार नहीं किया। गयानी जैल सिंह के बाद एक बार फिरोजपुर से हंसराज जोसन को कांगरेस ने लोकसभा का उममीदवार बनाया लेकिन वो चुनाव हार गए। इसके बाद एक बार भी पिछड़ी जाति के किसी उममीदवार को चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया। इस बार नई दिलली में आयोजित चुनाव कमेटी की बैठक में कई कांगरेसी नेताओं ने पिछड़ी जाति के एक उममीदवार को लोकसभा की एक सीट देने की मांग की। कमेटी के सदसय लाल सिंह ने कहा कि कम से कम एक ओबीसी को टिकट दिया जाएगा नहीं तो अकाली दल कांगरेस को नुकसान करेगा। उधर अकाली दल और बसपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है।दिलचसप सिथति है कि टिकटों के बंटवारे में अकाली दल से जयादा परिवारवाद को बढ़ावा कांगरेस में मिल रहा है। पटियाला से जहां राजा अमरिंदर सिंह की पतनी परनीत कौर को टिकट मिलेगा वहीं भटिंडा से राजा अपने बेटे रणइंदर सिंह के लिए टिकट मांग रहे है। उधर विधानसभा में विधायक दल की नेता राजिंदर कौर भटटल संगरुर से अपने बेटे राहुल के लिए टिकट मांग रही है। जबकि आनंदपुर साहिब सीट से राजयसभा सदसय अंबिका सोनी सीट मांग रही है। आम कांगरेसी कैडरों में इस बात की काफी चरचा है कि इसी तरह से परिवारों को ही टिकट मिलता रहेगा तो बाकी कांगरेसी कैडर कया करेंगे। आनंदपुर साहिब सीट पर तो बसपा के गुजर उममीदार ने कांगरेस के वोट बैंक में भारी सेंध लगायी है। उधर कांगरेस के पूरव अधयछ शमशेर सिंह दुललों ने साफ तौर पर कहा है कि अगर कांगरेस ने ओबीसी और हिंदू उम्मीदवारों की अनदेखी की तो भारी नुकसान कांगरेस को होगा।दिलचसप बात है कि राजय में कई ओबीसी विधायक जनरल सीटों पर जीत कर आए है। लाल सिंह पांच बार कांगरेस की टिकट पर जीत कर लाए। संगरूर के दिड़बा से ओबीसी सुरजीत सिंह धीमान दो बार विधायक बने है। इसके अलावा कांगरेस और अकाली दल से पिछड़ी जाति से संबंधित कई विधायक जीतते रहे है। पूरे देश में दलित-पिछड़ा-मुसलिम समीकरण की बात करने वाली कांगरेस को ओबीसी को नजर अंदाज करना अकाली दल को फायदे में ले जा सकता है। हालांकि कांगरेस ने संगरुर से जसबीर सिंह, आनंदपुर साहिब से राजपाल सिंह और अमृतसर से इंदरजीत बासरके के नाम ओबीसी की लिसट में रखा है। अगर ओबीसी से एक टिकट देने का फैसला लिया गया तो इन तीनों में से एक को उमीमीदवार बनाया जा सकता है।

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