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14.8.09

ऐ यौमे-आजादी सलाम

- अंकुर विजयवर्गीय-

वंदन स्वतंत्रता दिवस तुम्हें, ऐ यौमे-आजादी सलाम

आदाब उन्हें, जो तेरे हित कुर्बान हुई लाखों अवाम्

है नमन तुम्हें, हे आजादी के लिए शहादत देने वालों

तूफानों में आजादी की नाव सुरक्षित खेने वालों

ब्रिटिश हुकुमत के जुल्मों से डटकर लोहा लेने वालों

अमर हो गए मरकर तुम रणवीरों... भारत मां के लालों

श्रद्धासुमन कर रहा अर्पित आज तुम्हें हर नगर ग्राम

वंदन स्वतंत्रता दिवस तुम्हें, ऐ यौमे-आजादी सलाम...

भारत पर बुरी नजर रखने वालों ने मुंह की खाई है

हर बार दुष्मनों को हमनें मैदां में धूल चटाई है

सॅन बासठ की छति की भी तो करनी हमको भरपाई है

छेड़ेगा हमको वही मुल्क अब जिसकी शामत आई है

यह वतन सदा हमलावर से लेता है वाज़िब इंतकाम

वंदन स्वतंत्रता दिवस तुम्हें, ऐ यौमे-आजादी सलाम...

हमने गौतम और महावीर से सीख अमन की पाई है

पर नहीं राम की और कृष्ण की गाथा कभी भुलाई है

हमने दुनिया को सदा अमन का, करूणा का संदेश दिया

पर सदा रावणों-कंसों से धरती को मुक्ति दिलाई है

सर्वोच्च शिखर पर चमकेगा जग में भारत का अमरनाम

वंदन स्वतंत्रता दिवस तुम्हें, ऐ यौमे-आजादी सलाम...

भारत के हिन्दू-मुस्लमान, हम है बौद्ध, पारसी, ईसाई

हैं बेटे भारत मां के सब, हैं इसीलिए भाई-भाई

मां की सेवा करने में सब बढ़-चढ़कर होड़ लगायेंगे

कठमुल्लों-फुटपरस्तों के झांसे में कभी न आयेंगे

बलिहारी तुम पर हे भारत, ये वतन है पुण्य धाम

वंदन स्वतंत्रता दिवस तुम्हें, ऐ यौमे-आजादी सलाम..

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अंकुर विजयवर्गीय

संवाददाता

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