Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

21.8.09

पानी ने बजाई खतरे की घंटी

चूरू जिले के करीब सौ स्कूलों में शुद्ध पेयजल नहीं
चूरू, 21 अगस्त। जिले की दो तहसीलों के करीब 40 फीसदी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है। इससे बच्चों के बीमारियों की चपेट में आने की आशंका है। जलदाय विभाग की ओर से जलमणि कार्यक्रम के तहत करवाए गए सर्वे में यह खुलासा हुआ है। यह सर्वे मार्च से जून माह के बीच हुआ। जलदाय विभाग की ओर से तारानगर व चूरू तहसील के कुल 256 राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में करीब 99 विद्यालयों में पीने का पानी शुद्धता की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। 47 विद्यालयों के पीने के पानी में जीवाणु पाए गए हैं तथा 52 विद्यालयों के पानी में वांछित रसायनों की मात्रा गड़बड़ मिली हैं। जलदाय विभाग ने सरकार को भेजी रिपोर्ट में इस स्थिति को गंभीर बताते हुए स्कूलों में पेयजल की शुद्धता के अविलम्ब उपाय किए जाने को चेताया है।

स्थिति हो सकती है गंभीर
आधिकारिक जानकारी के अनुसार सर्वे में केवल ऐसे प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को ही शामिल किया गया था जिनमें नामांकित बच्चों की संख्या तीन सौ से कम हैं। तीन सौ से अधिक नामांकित बच्चों वाले विद्यालय तथा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों को भी सर्वे में शामिल किया जाता तो स्थिति की गंभीरता कुछ और उजागर होती। जिले की शेष चार तहसीलों के विद्यालयों में तो सर्वे होना अभी शेष है।

यहां पर सबसे अधिक
गांव कड़वासर के प्राथमिक विद्यालय, गांव कड़वासर कालरा जोहड़ के प्राथमिक विद्यालय व गांव खींवासर के उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा गांव झारिया के बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय का पानी किसी भी स्थिति में बच्चों के पीने योग्य नहीं पाया गया है फिर बच्चे दूषित पानी पीकर ही प्यास बुझा रहे हैं।

पानी की यह है व्यवस्था
विद्यालयों में बच्चों को कुएं, आपणी योजना, नलकूप व जीएलआर से पीने का पानी मुहैया करवाया जाता है। कई विद्यालयों में कुण्डों का पानी भी काम लिया जा रहा है। बच्चों को पीने का पानी उपलब्ध करवाने वाली टंकी व कुण्ड को खुला छोडऩे तथा नियमित साफ-सफाई नहीं करने से पानी दूषित हो गया है। इसके अलावा मटकों से पानी पीने पर डंडी लगे लोटे का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।

बीमारियों की फेहरिस्त लम्बी
पानी में जीवाणु पाए जाने और रसायनों की मात्रा गड़बड़ाने से बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। बच्चें उलटी दस्त, डायरिया, टाइफाइड, हैपेटाइटिस, पीलिया, हैजा, फ्लोरिसस जैसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। भविष्य में हड्डियां कमजोर होना, ब्लड प्रेशर बढऩा समेत कई बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं।
शुद्धता की कसौटी
-फ्लोराइड 1 से 1.5 पीपीएम
-हार्डनेस अधिकतम 600 पीपीएम
-टीडीएस अधिकतम 3000 पीपीएम
-एनओ-3 अधिकतम 45 पीपीएम
----
दोनों तहसीलों के विद्यालयों से लिए गए नमूनों के परीक्षण की रिपोर्ट उच्चअधिकारियों को भेज दी है। 47 विद्यालयों के नमूने जीवाणु तथा 52 विद्यालयों के नमूने रसायन परीक्षण में सही नहीं पाए गए हैं। जिले की शेष तहसीलों के विद्यालयों से भी पानी के नमूने लिए जाने हैं।
-सुशील कुमार शर्मा, रसायनज्ञ, पीएचईडी, चूरू
स्कूली बच्चों को पीने का शुद्ध पानी मुहैया कराने के लिए संस्था प्रधानों को पहले ही निर्देशित किया हुआ है। किसी विद्यालय में पीने के पानी में गड़बड़ी मिलती है तो संबंधित के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
-गजेन्द्र सिंह शेखावत, जिला शिक्षा अधिकारी, चूरू

No comments: