दो दिनों पहले मैंने लिखा था "बिना तिरंगे की स्वतंत्रता"... भाई इंदर ने सबसे पहले अपने बहुमूल्य विचार दिए और मुझे बताया कि "भूखे पेट न भजन होती है और न देश-भक्ति". बस बात मेरे दिल को छू गयी और बैठ गया लिखने उनके समर्थन में और अपना एक नया विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ.
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