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18.10.10

'मां को न्याय' : क्या करें, कैसे करें

''मां के लिए न्याय'' या ''मां को न्याय'' या फिर ''Justice for मां''. ऐसा कोई अभियान शुरू होगा, मुझे उम्मीद न थी. बहुत सारे लोगों के प्रेरित करने से ऐसा होने जा रहा है. इसे हम सब चलाएंगे. पूरे कुएं में भांग पड़ी हो तो चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते. पर हम सबका छोटा व संगठित प्रयास शायद पाप की लंका में हलचल मचा दे, सोए सिस्टम को जगा सके.

पर सवाल है कि आप हम करेंगे क्या. कैसे करेंगे. इसको लेकर कई सुझाव आए हैं. वो नीचे क्रमवार तरीके से दिए गए हैं. इन पर तुरंत अमल की जरूरत है. बाकी आप कुछ सुझाना चाहें तो नीचे कमेंट बाक्स में अपने विचार प्रकट कर सकते हैं.


''Justice for मां''

1- नीचे दिए गए सभी शीर्षकों व उससे संबंधित लिंक-यूआरएल को अपने मेल के जरिए अपने कांटेक्ट बुक के सभी लोगों तक पहुंचा दें. नीचे हेडिंग व लिंक के साथ मेल का सब्जेक्ट व संदेश भी लिख दिया गया है ताकि आप कापी कर मेल भेज सकें. नीचे के संदेश सब्जेक्ट व लिंक को कापी कर अपने मेलबाक्स में ले जाएं, कांटेक्ट्स पर क्लिक करें, सभी कांटेक्ट्स को सेलेक्ट करें, फिर कंपोज मेल या ईमेल पर क्लिक कर उसमें इस मैटर को डाल दें. सब्जेक्ट की जगह नीचे दिए गए सब्जेक्ट को डालें और सेंड बटन दबा दें.

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सब्जेक्ट : एक मां को चाहिए न्याय... justice for मां...

संदेश : उम्मीद है आप स्वस्थ सानंद होंगे. एक कंपेन शुरू किया गया है. एक मां को लोकतांत्रिक तरीके से न्याय दिलाने के लिए. अगर वक्त निकाल कर नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर पूरे प्रकरण को समझेंगे और यथोचित पहल करेंगे तो आभारी रहूंगा. पढ़ने के बाद आप न्यूनतम यह कर सकते हैं (अगर उचित लगे तो) कि इस मेल को अपने कांटेक्ट बाक्स के अधिक से अधिक लोगों तक फारवर्ड कर दें.

यह एक पत्रकार की अपने मां के सम्मान के लिए लड़ी जा रही निहत्थी लड़ाई है. हिंसक व हथियारबंद सिस्टम में एक आम जर्नलिस्ट द्वारा अपने परिवार की इज्जत व आत्मसम्मान बचाने का लोकतांत्रिक प्रयास है. इसमें सहयोग दें. अपने स्तर पर भरसक कोशिश शुरू करें कि दोषियों को दंड मिल सके.

धन्यवाद और आभार

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6969-2010-10-16-11-26-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6980-2010-10-17-09-05-00.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6981-legal-provision-arrest-detention.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6982-2010-10-17-09-56-04.html

http://www.bhadas4media.com/dukh-dard/6986-justice-for-mother-part1.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6992-2010-10-18-10-30-20.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/6991-jusitce-for-mother-part2.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6993-2010-10-18-10-46-56.html

http://bhadas4media.com/article-comment/6994-2010-10-18-11-15-58.html

http://bhadas4media.com/dukh-dard/6995-2010-10-18-11-51-57.html

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2- लखनऊ व दिल्ली में बैठे सत्ताधारी नेताओं, अफसरों, मंत्रियों व आयोगों के पदाधिकारियों को विशेष तौर पर मेल के जरिए इस मामले की शिकायत भेजें. जितनी ज्यादा मेलें जाएंगी, उतनी ज्यादा संभावना सोए हुओं के नींद खुलने की होगी.

3- मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और अदालतों में इस मसले की शिकायत दर्ज कराई जाए. इसके लिए जरूरी नहीं है कि जिन पर गुजरी है, वही शिकायत दर्ज कराएं. कोई भी पहल कर फैक्स, डाक, निजी तौर पर मिलकर इन आयोगों में शिकायत दर्ज कर सकता है. इसी तरीके से इस मामले को सभी अदालतों के मुख्य न्यायाधीशों तक पहुंचाया जा सकता है. उम्मीद करते हैं कि कुछ संवेदनशील व ईमानदार लोग जरूर होंगे जो नजर पड़ने पर अपने स्तर पर पहल शुरू कर देंगे.

4- अगर आप मीडिया से किसी भी रूप से जुड़े हैं तो इस मसले को किसी न किसी रूप से फ्लैश करें, प्रकाशित करें, प्रसारित करें ताकि यह आवाज, यह अभियान, यह मुद्दा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. ज्यादा से ज्यादा लोगों की इसमें भागीदारी हो. भड़ास4मीडिया पर प्रकाशित इस प्रकरण से संबंधित सभी खबरों-आलेखों का जिस भी रूप में चाहें, आप इस्तेमाल कर सकते हैं.

5- अगर आप राजनीति में हैं तो इस प्रकरण से जुड़ी सभी सूचनाओं, खबरों, लेखों के प्रिंट निकालकर उसे उपर तक भेजें ताकि संसद से सड़क तक के नेताओं से इस मुद्दे पर सहयोग लिया जा सके, उन्हें यह मुद्दा उठाने, दोषियों को दंडित कराने को आगे आने के लिए प्रेरित किया जा सके.

6- अगर आप पुलिस व प्रशासन से जुड़े हैं और भ्रष्ट नहीं हैं, चोर नहीं हैं तो बेईमान नहीं है, और आपको लगता है कि इस मां के साथ वाकई अन्याय हुआ है तो स्वतः संज्ञान लेकर, अंतरआत्मा की आवाज पर इस मुद्दे पर फौरी कार्रवाई करने के लिए प्रयास शुरू कर करने की कोशिश करें.

7- आप आम नागरिक हैं, सामान्य नौकरीपेशा हैं, बिजनेसमैन-व्यापारी हैं तो आपसे चाहेंगे कि इस मुद्दे को चर्चा का विषय बनाएं. गाजीपुर जिले के पुलिस अधीक्षक, वाराणसी परिक्षेत्र के आईजी व डीआईजी, राज्य के डीजीपी से लेकर मायावती सरकार तक की भर्त्सना करें.

8- आप अगर मानवाधिकार आंदोलन, किसी सामाजिक संस्थान, किसी सोशल एनजीओ, आरटीआई के काम से जुड़े हैं तो इस मसले पर जो भी संभव हो सके, वह करें, शिकायत दर्ज कराएं, सवाल पूछें, उचित मंचों पर आवाज उठाएं.

9- और क्या तरीके हो सकते हैं, वह भी आप सुझाएं और इस पूरे प्रकरण को आगे बढ़ाने के लिए क्या क्या किया जा सकता है, इसके बारे में भी बताएं. लोकतंत्र में आस्था है, सो, इस लोकतंत्र के हर दरवाजे को खटखटा लिया जाना चाहिए. इंतजार करेंगे न्याय का, देर लगे तो लगे, पर हम लोग संघर्ष करते रहेंगे, अगर न्याय हुआ तो ठीक, नहीं हुआ तो रास्ते बहुत हैं.

10- आज विजयदशमी के दिन यह अभियान शुरू किया गया है. आप सभी के संगठित प्रयास, ताकत के बल पर मैं उम्मीद कर रहा हूं कि अगले साल की विजयदशमी से पहले ही इन रावणों की लंका में हम लोग आग लगा चुके होंगे.

यशवंत

एडिटर, भड़ास4मीडिया

माडरेटर, भड़ास ब्लाग

मेल : yashwant@bhadas4media.comThis e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it

मोबाइल : +91 9999330099

Comments (15)Add Comment
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written by abhai, October 18, 2010
कानपुर में प्रेमप्रकाश का कहर टूटता है तो वो मीडिया को आईना दिखाते हैं और गाजीपुर में जो घटता है उसके लिये आप एसपी, आईजी, एडीजी, डीजीपी से लेकर मायावती तक को दोषी मानने लगते हैं....हम आपकी मां के साथ हुये अन्याय का तीव्र प्रतिकार करते हैं इस कुत्सित कृत्य के दोषियो को सजा मिले...लेकिन प्रेमप्रकाश कैसे न्यायप्रिय हो जाते हैं और गाजीपुर पुलिस गुनाहगार कृपया इसे भी समझाईये...क्योंकि प्रेमप्रकाश के हाथों पिटे तमाम पत्रकार भी कह सकते हैं...कि आखिर वे किससे न्याय मांगे...वे किसी वेबपोर्टल के मालिक नहीं जो अपना दर्द हर किसी से बता सकें......
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written by Rukhsana Maqsood , October 18, 2010
how are you starting where and why
how can we help you
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written by विजय शंकर पाण्डेय, October 18, 2010
आपके अभियान के मामले में जो भी संभव होगा, मैं करुंगा। साभार
विजय शंकर
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written by प्रभाकर, October 18, 2010
प्रिय यशवंत जी, आपके परिजनो के साथ ऐसी घटना होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, परन्तु ऐसा किसी के साथ न हो सके ऐसी मुहिम चलाई जाना बहुत आवश्यक है। हम अपने तमाम मित्रो सहित इस मुहिम में न सिर्फ पूरी तरह से आपके साथ है बल्कि अपनी ओर से जन-जागरण कर इस नालायक मायावती सरकार की ऐसी-तैसी करने में कोई प्रयास न छोडेगे। श्रीमती यमुना न सिर्फ आपकी मां है बल्कि हम सबकी पूरे देश की मां है।

सस्नेह,
प्रभाकर
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written by Dev Tripathi, October 18, 2010
भैया प्रणाम,, आज देश मे तमाम ऐसी माएं हैं जिनको न्याय की जरूरत है,,
उसमे से अगर एक माँ को न्याय मिल जाय तो धरती के इस बेटे को जनकम लेने का
उद्देश्य पूरा हो जायेगा

आपका,,,
देव!!!!
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written by uttarakhand vichar, October 18, 2010
we are with you yashwant ji ............teem uttarakhand vichar
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written by satya prakash "azad", October 18, 2010
is mudde ko jan-jan tak le jayenge.....satya prakash "azad", president, azad hind manch, varanasi.
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written by Amit Luthra, October 18, 2010
Respected Yashwant ji ,
Namashakar ,

yashwant ji jab sey apke mail meli hai maan udaas ho gaya hai , mai hindustan sey aur kuch bhe expect nahi kar sakta system sara ganda hai ,ministery toh khandani business ho gaya hai woh vapari hai humaray leye kaya karaay gaye , hummay apnay huq ke ladae khud ladhni padaye gae..... yashwant ji sab sey pehlay CM sey question kejey , agar woh sahi tara sey jawab nahi detta hai toh uskay estefay ke mang karey ........muh par keh dejey ga hum he ney tumay minister banaya hai agar humay ensaf nahi milay ga toh tumay minister baanay ka haq nahi ......
sath mai un police wallo par FIR kar do aur maan hani ka dava kar aur mental torcher ka .......
mujay etney ganday system key bav zood bhe Indian Law pa barosa hai
PM Aur President bhe Indian Law key upar nahi hai .....
bake mannay apane face book aur social site par update kar diya hai .....

Yashwant ji hum apkay sath hai

With Respect
Amit Luthra
+16179224662

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written by vineet kumar, October 18, 2010
मां सिर्फ औऱ सिर्फ मां होती है। हमने इस घटना को आपकी हटाकर सिर्फ मां पढ़ा है। हम आपके साथ हैं,हम इसे अभियान में किसी भी तरह से आपके काम आ सकें,आपके साथ हैं।.
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written by sakhi, October 18, 2010
यशवंत जी

आपकी माँ के साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ...और माँ के साथ अन्याय हो और बेटा चुप रहे ये उससे भी बुरा होगा..
मगर क्या आपकी माँ के साथ जो हुआ वो सिर्फ मायावती के मुख्यमंत्री होने के कारन हुआ है जो आप इस तरह अपने शीर्षक रख रहे है..मेरे ख्याल से आपने ऐसे शीर्षक लोगो को आकर्षित करने के लिए रखे है..या पना गुस्सा सिर्फ मायावती पर दिखाना चाह रहे है .

ये हाल तो पूरे देश का है. और आज से नहीं न जाने कब से ऐसा हो रहा है..
में नहीं जानती आपके बारे में जयादा कुछ....मगर हाँ इतना जरुर कहूँगी कि आपका हाला सही नहीं होगा ..क्यों कि आपको मानसिक कष्ट और आत्मिक कष्ट जो हुआ है इस घटना से .
पर इसके लिए सिर्फ मायावती को दोष न देकर सिस्टम को दोष देना वो भी पूरे देश के , जयादा सही है और उस व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करने कि जरुरत है..
यहाँ मायावती जी है देल्ही में शीला जी है. इन दोनों जगह के अलावा भी हर जगह ऐसा वाकया होता है..जिन प्रदेशो में कोई और मुख्यमंती है .
सरकार कोई भी हो मुख्यमंती कोई भी हो..ये दुखद घटनाये बहुत समय से हो रही है ..बस फर्क इतना है कि जब खुद पर बात आये तब जाकर इंसान का खून खोलता है और तब जाकर ही वो कुछ सोचता है दिल से.
वरना अपने कभी कुछ इस तरह कि घटना पर करने का सोचा होगा..

अब सोचा है अच्छा किया..मैं आपके साथ हूँ..मगर यही गुजारिश है कि किसी वक्ती विशेष पर टिप्पणी न कर इस व्यवस्था को बदलने कि बात करे इस देश को समाज को सुधरने कि बात करे.
इसी से सर्वजन का भला होगा
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written by Abhishek Anand, October 18, 2010
मुद्दा ठीक हैं, शीर्षक ठीक हैं, वजह ठीक हैं, शुभारंभ का दिन भी सही पर इसे सिर्फ इस माँ को न्याय मिल जाने के बाद रुक नहीं जाना चाहिए.
http://www.facebook.com/abhishek.letters
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written by joseph, October 18, 2010
is tarah se computer ka upyog karane vaalon tak hee pahunch sakenge.isake sath hee post card par shikayat bheji jaani chahiye.kai bar postcard ko yachika maan kar adalaton ne sweekar kiya hai..
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written by shyamal kumar tripathi, October 17, 2010
yaswant bhai pura media jagat aapke sath hi aapke is sarahniya kadam ka hum sab samman karate he
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written by aapkiawaz.com, October 17, 2010
यशवंत जी, संयोग से आपके ई-मेल का ये हिस्सा नहीं पढ़ पाया था, लेकिन अपने विवेक से लगभग सबसे पहले वही सब करता रहा, जैसा की आपने सुझाव दिया है। मेरे पास सभी एमपी, एमएलए, व अधिकारियों के जरूरत के अनुसार अलग-अलग कटेगरी में फोन व ईमेल रिकार्ड में है। हमे इस सारी मेहनत का फल मिल गया। हमे आशा ही विश्वास है, ये विजयदशमी के दिन छेड़ी लड़ाई अन्यायरूपी रावण का अवश्य वध करने में आपको सफलता मिलेगी। संपादक- आपकी आवाज़.कांम
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written by shravan shukla, October 17, 2010
सर आप के इस कदम पर हर वक्त आपके साथ.
जय यश
जय यशवंत

1 comment:

Vivek Mishrs said...

यसवंत जी
माँ , माँ होती है , उसके दुखों को सारा जग महसूस करता है...मुझे भी अपार दुःख और छोभ है
हम आपके साथ हैं..

इस समय मै आपसे यही कह सकता हूँ की ............

नक्कारखाने में तूती की आवाज भले दब कर रह जाती हो,
भीड़ के शोर में लूटे-पिटे लोगों की चीख न सुनी जाती हो ।

रात के अँधेरे में कुछ काले साये नजर बचाकर निकल जाते हों,
झूंठ को बचाने की जद्दोजहद में सच को भले लोग भूल जाते हों।

परोपकार का मुलम्मा लगाकर स्वार्थी अपना भला करते जाते हों,
बेंचकर अस्मिता देश की नित नेता अपनी राजनीत चमकाते हो।

साधुवों के भेष में चोर-डाकू लम्पट छुप जाते हों,
बेचने को ईमान अपना लोग बाजार सजाते हों।

फिर भी कभी महत्व तूती का नहीं मिट जाता है,
ना ही सच की जगह, झूंठ दूर तक चल पाता है।

लगे भले ही देर मगर इन्साफ मिल ही जाता है,
अंत में! सुखद अंत देर से ही सही पर आता है......।।

विवेक मिश्र 'अनंत'