देहरादून।20 स्वच्छ छवि, स्वभाव से सीध्े सरल और ईमानदार, ऐसा कोई कार्य नहीं किया कि कोई सामान्य व्यक्ति भी उन्हें ध्मकी देता, मापिफया, आतंकवादियों की बात दूर रही, पिफर भी जान का खतरा! ह ना हैरान करने की बात। पशोपेश में मत पडिये, चलिऐ बता देते है कि यह खतरा किसी को नहीं बल्कि अपने कैबिनेट मंत्राी खजानदास को है। शायद आप विश्वास न करें लेकिन खजानदास को यह खतरा महसूस हो रहा है। तभी तो उन्होंने रिवालर/पिस्टल का लाईसेंस लिया है। यूॅ तो वह नये-नये कैबिनेट मंत्राी बने है। सुरक्षा के लिए सूबे की सरकार ने उन्हें गनर मुहिया करा रखा है। हैसियत वाले है, मात्रा सूचना देने पर आनन-पफानन में पुलिस की गार्द आ सकती है। लेकिन शायद इतने भरसे वे संतुष्ट नहीं है। इस लिए सारे नियमों को दरकिनार करते हुए उन्होंने रिवाल्र का लाईसेंस लिया है। रिवालर का लाइसेंस लेने की एक प्रक्रिया है। अगर कोई सामान्य व्यक्ति या व्यापारी रिवालर या पिस्टल का लाइसेंस लेने के लिए आवेदन करें तो इसके लिए जटिल प्रक्रिया से गुजरना होता है। मसलन 16 थानो की रिर्पोट लगती है। रिवालर का लाइसेंस पाने के लिए महीनों आम आदमी को पुलिस से लेकर जिला प्रशासन तक के चक्कर काटने पडते है और रिवालर व पिस्टल का लाइसेंस किस लिए लिया जाना है उसके लिए आम आदमी को अपना पूरा तर्क देना पडता है। देखने में आता है कि जिस थाने से लाईसेंस बनने होता है वहां का प्रभारी पहले पूरी छानबीन कर अपनी रिपोर्ट देता है और उसके बाद सभी 16 थानों से रिपोर्ट मंगाई जाती है जिसमें अच्छाकासा समय लग जाता है। इतना हीं नहीं दर्जनों आवेदन ऐसे है जो आज भी अस्लाह, क्लर्क के यहां ध्ूल पफांक रहे है क्योंकि चर्चा यहां तक है कि जब तक आवेदनकर्ता अपनी पहॅुच से कुछ अध्किारियों को रूबरू नहीं करा देता तब तक उसका लाईसेंस बनना महाभारत होता है। लेकिन अपने खजानदास के साथ ऐसा कुछ घटित नहीं हुआ क्योंकि वह ठहरे कैबिनेट मंत्राी। भला उन पर यह सारे नियम कानून लागू हो सकते है। सूत्रों के अनुसार खजानदास पुत्रा संतादास निवासी 131/2 बसंत विहार में निवास करते है और उन्होंने अपने हथियार का लाईसेंस बनाने के लिए आवेदन किया और उनकी जांच 30 अगस्त 2010 को राजधनी के पुलिस कप्तान के कार्यालय में भेजी गई। चर्चा है कि इस आवेदन को बंसत विहार थाने मंे भेजा गया जहां रिपोर्ट में अंकित किया गया कि राज्य के कैबिनेट मंत्राी खजानदास को आत्मरक्षा के लिए रिवालर व पिस्टल का लाईसेंस चाहिए जिस पर उन्होनंे अपनी रिपोर्ट प्रेषित की कि सभी थानों में खजानदास के खिलापफ कोई अपराध् दर्ज नहीं है और उसी के चलते उन्हें हथियार की संस्तुति की गई। चर्चा यहां तक है कि सभी 16 थानों से लिखित में रिपोर्ट नहीं ली गई बल्कि आवेदन में दर्ज किया गया कि सभी थानों से खजानदास के खिलापफ अपराध् की सूचना शून्य में है। सूत्रों का कहना है कि 22 सितम्बर 2010 को खजानदास का हथियार का लाईसेंस रिवालर/पिस्टल स्वीकृत हो गया और 27 सितम्बर को खजानदास ने अपना हथियार का लाईसेंस बनवा लिया। बताया जा रहा है कि यह हथियार का लाईसेंस 22 सितम्बर 2013 तक वैध् है। सवाल यह उठता है कि लाईसेंस देने वाली अथयोटी ने आनन-पफानन में मंत्राी जी का लाईसेंस देने की स्वीकृति कर दी। अब मंत्राी जी को लाईसेंस तो मिल गया है लेकिन सम्भवतः वह रिवालर/पिस्टल खोज रहे है। लेकिन यह पता नहीं है कि मंत्राी जी को रिवालर/पिस्टल पर ट्रेगर दबाना आता है भी या नहीं। शेपफटी लॉक लगाना और खोलना भी शायद उन्हें सिखना पडे। ऐसे मंे सवाल उठता है कि रिवालर की उन्हें इतनी जरूरत क्या पड गई कि सारी प्रक्रिया को चंद समय में पूरा कराकर उन्हंे लाईसेंस लेना पड गया। आखिर उन्हें किससे अपनी जान का खतरा महसूस हो रहा है? यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने दायित्वधरियों से लेकर विधयकों व मंत्रियों को सरकारी गनर उपलब्ध् करा रखे है और इस राज्य में आजतक ऐसा देखने को नहीं मिला कि किसी विधयक या मंत्राी पर कोई जानलेवा हमला हुआ हो। सवाल कैबिनेट मंत्राी खजानदास से जुडा है तो यह अपने आप में हैरानी करने वाली बात है कि आखिरकार जो कैबिनेट मंत्राी सरल व साधरण किस्म के व्यक्ति के है और मसूरी व उसके आसपास उनका राजनैतिक क्षेत्रा है जहां आदमी को सम्मान देना इलाके के लोगों की रगो में कूट-कूट कर भरा है। ऐसे इलाके के अगर मंत्राी को अपनी जान का खतरा सताने लगे तो यह अपने आप में इस राज्य के लिए चिंता का विषय ही कहा जा सकता है। साभार crimeस्टोरी
20.10.10
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