A BOOK ON ” EMERGENCY ON JOURNLISM IN INDIA ” by AMRENDER RAI
” पत्रकारिता का आपातकाल “ पर अमरेन्द्र राय
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” पत्रकारिता का आपातकाल “ विषय
पर , २०१० में एक नई किताब आयी है
.किताब का नाम है ”
पत्रकारिता का आपातकाल ” ,जिसका प्रकाशन
माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
एवं संचारविश्वविद्यालय
की शोध परियोजना के
तहत हुआ है .
इसे प्रभात प्रकाशन , नई दिल्ली ने छापा है . इस के
लेखक वरिष्ठ पत्रकार अमरेन्द्र राय हैं .
इस किताब में आजादी के बाद से लेकर २० ०९ तक के
काले कानूनों का विस्तार से वर्णन किया गया है.
पाठकों को यह तथ्य एक हद तक चौंका सकता है क़ि
२६ जनवरी १९५० को प्रभावशील हुए , भारत के
संविधान में पहला संशोधन प्रेस के निमित्त किया
गया था .
आजादी के बाद प्रेस पर किस किस तरह की बंदिशे
लगीं . प्रेस को शिकंजे में कसने के
लिए कौन कौन से काले कानून
लगाये गए और प्रेस ने उसका किस
तरहमुकाबला किया .इसकी सारी
जानकारी लेखक ने बडेअच्छे ढंग से प्रस्तुत की है .
१९६२ के चीन युद्ध के समय प्रेस पर क्या गुजरी
.आपातकाल में किस तरह से प्रेस का गला घोंटा गया
.कुख्यात बिहार प्रेस बिल , मानहानि विधेयक . कुछ
अख़बारों के खिलाफ हल्ला बोल से गुज़रते हुए
बाजारवाद से पत्रकारिता के खतरे का भी किताब में
ज़िक्र किया गया है .स्वस्थ पत्रकारिता के लिए सतत
लड़ायी जारी रखनेवाले विख्यात
पत्रकार और माखन लाल पत्रकारिता
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री
अच्युतानंद मिश्र ने
किताब को एक महतवपूर्ण और
उपयोगी दस्तावेज़ बताया है .
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