मुस्लिम सांसदों के दबाव में शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 में संसोधन स्वीकृत
इस देश की राजनीति में घुन लग गया है। राष्ट्रहित उसने खूंटी से टांग दिए हैं। इस देश की सरकार सत्ता प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती है। अधिक समय नहीं बीता था जब केन्द्र सरकार ने कश्मीर के पत्थरबाजों और देशद्रोहियों को करोड़ों का पैकेज जारी किया। वहीं वर्षों से टेंट में जिन्दगी बर्बाद कर रहे कश्मीरी पंडि़तों के हित की चिंता आज तक किसी भी सरकार द्वारा नहीं की गई और न की जा रही है। मेरा एक ही सवाल है- क्या कश्मीरी पंडि़त इस देश के नागरिक नहीं है। अगर हैं तो फिर क्यों उनकी बेइज्जती की जाती है। वे शांत है, उनके वोट थोक में नहीं मिलेंगे इसलिए उनके हितों की चिंता किसी को नहीं, तभी उन्हें उनकी जमीन, मकान और स्वाभिमान भरी जिन्दगी नहीं लौटाने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। वहीं भारत का राष्ट्रीय ध्वज जलाने वाले, भारतीय सेना और पुलिस पर पत्थर व गोली बरसाने वालों को 100 करोड़ का राहत पैकेज देना, उदार कश्मीरी पंडि़तों के मुंह पर तमाचा है। इतने पर ही सरकार नहीं रुक रही है। इस देश का सत्यानाश करने के लिए बहुत आगे तक उसके कदम बढ़ते जा रहे हैं।
एक पक्ष को तुष्ट करने के लिए सरकार कहां तक गिर सकती है उसका हालिया उदाहरण है शत्रु संपत्ति विधेयक-2010 का विरोध करना फिर उसमें मुस्लिम नेताओं के मनमाफिक संसोधन को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृति देना। कठपुतली (पपेट) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें इसी बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 में संसोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में पाकिस्तान गए लोगों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था, इस संपत्ति पर अब भारत में रह रहे पाकिस्तान गए लोगों के कथित परिजन कब्जा पा सकेंगे। जबकि पाकिस्तान गए सभी लोगों को उनकी जमीन व भवनों का मुआवजा दिया जा चुका है। उसके बाद कैसे और क्यों ये कथित परिजन उस संपत्ति पर दावा कर सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं।
दरअसल पाकिस्तान गए लोगों की सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए पहले से ही उनके कथित परिजनों द्वारा प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि 1968 में लागू शत्रु संपत्ति अधिनियम में कुछ खामी थी। उत्तरप्रदेश में यह प्रयास बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं। 2005 तक ही न्यायालय में 600 मामलों की सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने उन्हें वांछित शत्रु संपत्ति पर कब्जा देने के निर्देश दिए हैं। शत्रु संपत्ति हथियाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में 250 और मुम्बई उच्च न्यायालय में 500 के करीब मुकदमे लंबित हैं। मैं यहां कथित परिजन का प्रयोग कर रहा हूं, उसके पीछे कारण हैं। समय-समय पर इस बात की पुष्टि हो रही है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान भारत के विभिन्न राज्यों में आकर बस जाते हैं। कुछ दिन यहां रहने के बाद सत्ता लोलुप राजनेताओं और दलालों के सहयोग से ये लोग राशन कार्ड बनवा लेते हैं, मतदाता सूची में नाम जुड़वा लेते हैं। फिर कहते हैं कि वे तो सन् 1947 से पहले से यहीं रह रहे हैं।
शत्रु संपत्ति अधिनियम-1968 की खामियों को दूर करने और कथित परिजनों को शत्रु संपत्ति को प्राप्त करने से रोकने के लिए गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने 2 अगस्त को लोकसभा में शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 प्रस्तुत किया गया था। इस विधेयक के प्रस्तुत होने पर अधिकांशत: सभी दलों के मुस्लिम नेता एकजुट हो गए। उन्होंने विधेयक में संसोधन के लिए पपेट पीएम मनमोहन सिंह और इटेलियन मैम सोनिया गांधी पर दबाव बनाया। दस जनपथ के खासमखास अहमद पटेल, अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री सलमान खुर्शीद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में मुस्लिम सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर उनके कान में मंत्र फंूका कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है। अगर यह मंजूर हो गया तो कांग्रेस के माथे पर मुस्लिम विरोधी होने का कलंक लग जाएगा और कांग्रेस थोक में मिलने वाले मुस्लिम वोटों से हाथ धो बैठेगा। यह बात मनमोहन सिंह को जम गई। परिणाम स्वरूप विधेयक में संसोधन कर दिया गया और उसे पाकिस्तान गए मुसलमानों के कथित परिजनों के मुफीद बना दिया गया। जिस पर बुधवार को पपेट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में मुहर लगा दी गई। अब स्थित अराजक हो सकती है सरकार से उन सभी ऐतिहासिक और बेशकीमती भवनों व जमीन को ये कथित परिजन छीन सकते हैं, जो अभी तक शत्रु संपत्ति थी। जबकि इनका मुआवजा पाकिस्तान गए मुसलमान पहले ही अपने साथ भारत सरकार से थैले में भर-भरकर ले जा चुके हैं।
एक पक्ष को तुष्ट करने के लिए सरकार कहां तक गिर सकती है उसका हालिया उदाहरण है शत्रु संपत्ति विधेयक-2010 का विरोध करना फिर उसमें मुस्लिम नेताओं के मनमाफिक संसोधन को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा स्वीकृति देना। कठपुतली (पपेट) प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई थी। इसमें इसी बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रस्ताव पर शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 में संसोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में पाकिस्तान गए लोगों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था, इस संपत्ति पर अब भारत में रह रहे पाकिस्तान गए लोगों के कथित परिजन कब्जा पा सकेंगे। जबकि पाकिस्तान गए सभी लोगों को उनकी जमीन व भवनों का मुआवजा दिया जा चुका है। उसके बाद कैसे और क्यों ये कथित परिजन उस संपत्ति पर दावा कर सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं।
दरअसल पाकिस्तान गए लोगों की सम्पत्ति को प्राप्त करने के लिए पहले से ही उनके कथित परिजनों द्वारा प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि 1968 में लागू शत्रु संपत्ति अधिनियम में कुछ खामी थी। उत्तरप्रदेश में यह प्रयास बड़े स्तर पर किए जा रहे हैं। 2005 तक ही न्यायालय में 600 मामलों की सुनवाई हो चुकी है और न्यायालय ने उन्हें वांछित शत्रु संपत्ति पर कब्जा देने के निर्देश दिए हैं। शत्रु संपत्ति हथियाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में 250 और मुम्बई उच्च न्यायालय में 500 के करीब मुकदमे लंबित हैं। मैं यहां कथित परिजन का प्रयोग कर रहा हूं, उसके पीछे कारण हैं। समय-समय पर इस बात की पुष्टि हो रही है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान भारत के विभिन्न राज्यों में आकर बस जाते हैं। कुछ दिन यहां रहने के बाद सत्ता लोलुप राजनेताओं और दलालों के सहयोग से ये लोग राशन कार्ड बनवा लेते हैं, मतदाता सूची में नाम जुड़वा लेते हैं। फिर कहते हैं कि वे तो सन् 1947 से पहले से यहीं रह रहे हैं।
शत्रु संपत्ति अधिनियम-1968 की खामियों को दूर करने और कथित परिजनों को शत्रु संपत्ति को प्राप्त करने से रोकने के लिए गृह राज्यमंत्री अजय माकन ने 2 अगस्त को लोकसभा में शत्रु संपत्ति (संसोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक-2010 प्रस्तुत किया गया था। इस विधेयक के प्रस्तुत होने पर अधिकांशत: सभी दलों के मुस्लिम नेता एकजुट हो गए। उन्होंने विधेयक में संसोधन के लिए पपेट पीएम मनमोहन सिंह और इटेलियन मैम सोनिया गांधी पर दबाव बनाया। दस जनपथ के खासमखास अहमद पटेल, अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री सलमान खुर्शीद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में मुस्लिम सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर उनके कान में मंत्र फंूका कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है। अगर यह मंजूर हो गया तो कांग्रेस के माथे पर मुस्लिम विरोधी होने का कलंक लग जाएगा और कांग्रेस थोक में मिलने वाले मुस्लिम वोटों से हाथ धो बैठेगा। यह बात मनमोहन सिंह को जम गई। परिणाम स्वरूप विधेयक में संसोधन कर दिया गया और उसे पाकिस्तान गए मुसलमानों के कथित परिजनों के मुफीद बना दिया गया। जिस पर बुधवार को पपेट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में मुहर लगा दी गई। अब स्थित अराजक हो सकती है सरकार से उन सभी ऐतिहासिक और बेशकीमती भवनों व जमीन को ये कथित परिजन छीन सकते हैं, जो अभी तक शत्रु संपत्ति थी। जबकि इनका मुआवजा पाकिस्तान गए मुसलमान पहले ही अपने साथ भारत सरकार से थैले में भर-भरकर ले जा चुके हैं।
6 comments:
देश एक और ........ तरफ जा रहा है !
bhaee saab sabse pahle aapko lekh ke lie dhanyawad.agar aap congress se deshhit men koee kadam uthane ki apeksha kar rahe hain to aap beshak mugalate men hain.abhi kuchh hi din pahle p.m. ke rajnaitik salahkar ne khud hi congress ko satta prapt karne ki mashinary matra kaha hai.
हमारे गृह मंत्री ने लाख कोशिशें कीं पर मुस्लिम वोटों पे गिद्ध द्रष्टि डाले कांग्रेस के कानों पे जूं भी नहीं रेंगी, जिसका परिणाम आया है इस बिल के रूप में. सारी दुनिया जानती है की कैबिनेट ने ये फैसला राजा महमूदाबाद के दबाव में लिया है. पूरे यूपी में राजा की करोड़ों की संपत्ति है, जिसे पाने के लिए वो सालों से कोशिश कर रहे हैं. इस बिल से अब उनके और उनके जैसे हजारों मुसलमानों के वारे न्यारे हो जायेंगे और कांग्रेस को मिलेंगे लाखों वोट.
shi khaa jnaab voton ki rajniti he vrna gandhi ke htyaare godse kaa khulaa smrthn krne vale or desh men aekta akhndtaa ke khilaaf kshetrvad or bhaashaavaad kaa jhgdaa krne vale desh drohi aaj jelon men hote sansd ya mntri bn kr nhin bethte shi likha he desh ka sukun rajniti ki bhent chdaa he. akhtar khan akela kota rajsthan
Congress is Totally anti national. Please boycott it. Start campaign for awareness the people of India how congress humiliate the Nation.
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