अखिलेश उपाध्याय / कटनी
इन दिनों शहरी क्षेत्रो में बड़ी मात्रा में मावा और घी की खेप आसपास के क्षेत्रो से पहुच रही है. दरअसल कुछ दिनों बाद मिठाइयो का पर्व दीपावली है. ऐसे में कई क्विंटल मावे की खपत होती है. बाजार में बिकने वाले मावे और घी की शुद्धता को लेकर अक्सर लोग सवाल उठाते रहे है.
दीपावली आते ही एक बार फिर मिलावटी मावे और घी की शुद्धता को लेकर लोग सवाल उठाने लगे है. दरअसल लोगो की नाराजगी इस बात को लेकर भी है की स्वास्थ्य निरीक्षको द्वारा ऐसे खाद्य पदार्थो की समय-समय पर जाँच नहीं की जाती है. इसी का नतीजा है की शरद पूर्णिमा के त्यौहार पर खराब मावा के प्रयोग करने के बाद रीठी तहसील के ग्राम भरतपुर और मुहास के आधा सैकड़ा लोग उलटी दस्त के शिकार हो गए और उन्हें गंभीर अवस्था में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रीठी में भरती कराया गया. दो साल के बच्चे से लेकर प्रोढ़ महिला पुरुष सभी पर दूषित मावा खाने से यह असर हुआ
लोगो की नाराजगी इस बात को लेकर है की स्वस्थ्य निरीक्षको द्वारा ऐसे खाद्य पदार्थो की समय-समय पर जाँच नहीं की जाती है. खासकर दसहरा दिवाली जैसे त्योहारों के मौके पर जब कई क्विंटल मावे की मांग होती है निश्चित ही खाद्य पदार्थो की जाँच की जाना चाहिए ताकि खाद्य पदार्थो में गड़बड़ी करने वालो पर शिकंजाकस सके किन्तु देखा गया है की सम्बंधित विभागों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है.
भूमिका पर सवाल
शहरी क्षेत्र में आने वाला मावा, घी, दूध, दही और मही बड़ी मात्रा में ट्रेन, बस के द्वारा लाया जाता है. लोगो ने सवाल उठाये है की रेलवे हेल्थ इन्स्पेक्टर द्वारा कभी भी खाद्य पदार्थो के नमूने लेने की जहमत नहीं उठाई जाती है. जिससे मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री को बढ़ावा मिल रहा है. लोगो ने रेलवे हेल्थ इन्स्पेक्टर की भूमिका पर ही सवाल खड़े किये है. बताया गया है की रेलवे हेल्थ इन्स्पेक्टर कटनी में कम ही मिलते है.
बताया गया है की बीते कई महीने से यहाँ खाद्य निरीक्षक ही नहीं आये है. अंदाजा लगाया जा सकता है की अपने कर्तव्यों को संवेदनशील पड़ पर बैठे अधिकारी किस ढंग से अंजाम दे रहे है. कटनी के राजेश नेमा ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो से बड़े पैमाने पर मावा, घी और दूध से बने अन्य सामग्री शहरी क्धेत्र में आती है कई बार उनके द्वरा खरीदे गए घी और मावे में मिलावटी होने का पता भी चला है किन्तु कहा शिकायत कारे ? कुछ ऐसा ही रजनी गुप्ता ने भी बताया. इनके मुताबिक पिछले दिनों कई बार इनके द्वारा मिलावटी घी खरीद लिया गया था जो खरीदने के बाद हीपता चल पाया है की उसमे मिलावट की गई है.
उन्होंने अब घी खाना ही बंद कर दिया है. दिलीप गुप्ता का कहना है की पिछले लम्बे समय से शहर के बाजारों में मावा, घी और दूध से बने अन्य पदार्थो में भारी मिलावट की जाती है किन्तु यहाँ के खाद्य नरीक्षक ध्यान नहीं देते है और बड़ी मात्रामें मिलावटी मावा और घी आसानी से बाजार में खप जाता है.
दीपवाली पर होती बिक्री
आकड़ो के मुताबिक हर वर्ष दीपावली के मौके पर एक टन से ज्यादा मावे की मिठाई शहर वासी हजम कर जाते है और यह मावा क्षेत्र के कुछ हिस्सों से ही आता है. जानकर बताते है की क्षेत्र में दुग्द्ध उत्पादन बड़े पैमाने पर नहीं होता है और जो होता है उसमे से भी एक बड़ा हिस्सा दूध डेयरी को चला जाता है फिर इतनी बड़ी मात्रा में मावा कहा सेआता है. इस सम्बन्ध में विभागों को सतर्कता बरतना चाहिए.
साथ ही विभाग को लोगो की जागरूकता के लिए शुद्ध और मिलावटी में फर्क कैसे किया जाए इस बात कीजानकारी भी उपलब्द्ध कराना चाहिए किन्तु सम्बंधित विभागों की निष्क्रियता के चलते खुलेआम लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है.
नागरिको का कहना है
अधिकारियो के जागरूक न होने से कटनी जिले में बड़ी मात्रा में मिलावटी मावे की सप्लाई बीते लम्बे समय से हो रही है. यहाँ सम्बंधित विभागों को ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि लोगो के स्वास्थ्य को नुक्सान न हो सके
-रामस्वरूप तिवारी, रिटायर्ड बी ई ओ, रीठी
ट्रेन द्वारा बड़ी संख्या में कटनी के शहरी क्षेत्र में धल्ले से मिलावटी मावा और घी बिक रहा है. इस सम्बन्ध में हम लोगो ने पहले भी कई बार मांग उठाई है किन्तु रेलवे खाद्य नितिक्षक और शहरी खाद्य निरीक्षक कोईध्यान नहीं दे रहे है और इन लोगो की लापरवाही से लोगो के स्वास्थ्य से मजाक किया जा रहा है
-मनोज तिवारी, कार्यकर्त्ता उपभोक्ता फोरम
सम्बंधित अधिकारियो की मिलीभगत से मिलावटखोरो को बढ़ावा मिलता है इसके लिए कानून में सख्त प्रावधान है जिसके तहत मिलावट खोरो पर कार्यवाही की जा सकती है किन्तु सम्बंधित विभागों का इस ओर बिलकुल भी ध्यान नहीं है.
-रमेश निगम, कटनी
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