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5.10.10

भारत की गरीबी और महंगाई

राजकुमार साहू, जांजगीर छत्तीसगढ़

देश में महंगाई आम जनता के ऊपर इस कदर हैवी है की उनको कई ऐसी चीजों से दूरी बनानी पद रही है, जिसे वे खरीद सकने में अक्षम है। दूसरी ओर महंगाई को लेकर ऊँची कुर्सी में बैठे नेताओं को इसकी कोई चिंता नहीं है। तभी तो महंगाई के नाम पर कृषि मंत्री शरद पवार आये दी ऐसे-ऐसे बयान दे जाते हैं, जिससे देश की आम जनता को आघात लगता है। बावजूद ये नेता जनता की चिंता कम करते हैं। ऐसा नहीं होता तो, वे आये दी महंगाई बढ़ने के लिए बयान नहीं देते। कृषि मंत्री तो जब भी मुंह खोलते हैं, उस दिन उनका बयान आम जनता के लिए शामत बनकर आता है। बीते कुछ सालों से देश जनता महंगाई से ऐसी पीस रही है, लेकिन आम आदमी के साथ हाथ होने का दावा करने वाली पार्टी के नेता केंद्र में सरकार बनते ही इन बातों को भूल गए हैं। इस तरह बेचारी आम जनता जाए तो जाए कहाँ। अभी हाल ही में कृषि मंत्री शरद पवार ने एक बार फिर जिस तरह से गैर जिम्मेदाराना बयान दिए हैं, उससे तो जनता की कोई अहमियत ही नहीं रह गई है। जिस जनता के पैसे से वह कृषि मंत्री को सभी सुविधाएँ नसीब हो रही हैं, उन्ही के बारे में जब सरकार और उसके मंत्री सोचना बंद कर दे तो भला इसे क्या कहा जा सकता है। महंगाई के कारन लोग जैसे-तैसे अपना जीवन जी रहे हैं, वहीँ इन्हीं जनता के पैसे से ये नेता ऐश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उस जनता की फिक्र करने की जरुरत नहीं है, जिन्होंने इन जैसों को कुर्सी पर बीती है। उसी जनता को किनारा करके कृषि मंत्री शरद पवार जैसे नेता मजे कर रहे हैं। महंगाई को लेकर आम जनता में हाय-तौबा मची है, लेकिन नेता है की बयान देने से बाज नहीं आते। शरद पवार ने अह कहा है की भारत में जितनी महंगाई है, उससे कहीं ज्यादा दुनिया के कई देशों में है। यह बात भी सही है, लेकिन कृषि मंत्री जी जिन देशों में महंगाई भारत से अधिक होने की बात कह रहे हैं, का वहां भारत जैसी गरीबी है ? निश्चित ही ऐसा नहीं है, जी देशों में महंगाई अधिक है, वहां आम लोगों की आय इतनी अधिक है की उन्हें महंगाई का कोई फर्क ही नहीं पड़ता, जबकि भारत में गरीबी इस कदर है की आम जनता की महंगाई के कारन हालत खराब है। रोज जनता महंगाई से पिस रही है। जनता की बेबसी का अंदाजा सुरेश तेंदुलकर की रिपोर्ट से पता चलता है, जिसमें बताया गया है की कैसे भारत की गरीब जनता महज २० रूपये में गुजारा करती है। यहाँ पर हमारा यही काना है की भारत में महंगाई बढती जा रही है और इस देश के नेता अपनी जवावदेही से बचने के लिए अनाप-शनाप बयान दे तो फिर ऐसे नेताओं की मनसिकत को दिवालियापन ही कहा जा सकता है। महंगाई को लेकर ऐसा पहली बार बयान कृषि मंत्री ने नहीं दिया है, इससे पहले वे कुछ ऐसा कह जाते थे, जिसके बाद महंगाई बढती थी और इसका सीधा लाभ माल दबा कर रखने वालों को मिलता था। अह सिलसिला अब भी जारी है। महंगाई बढ़ रही है और जनता उसके निचे रह कर सब सहन कर रही है। हल्लंकी नेताओं के बयानबाजी को आम जनता समझ रही है, आने वाले दिनों में इस आम आदमी के साथ होने का दवा करने वाली सरकार को जरुर सबक सिख्येगी। यहाँ दिलचस्प बात यह है की महंगाई पर अन्किश हमारे अर्थशात्री प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह भी नहीं लगा सके, वे केवल इतना दिलासा जनता को देते आ रहे हैं की जल्दी ही महंगाई से निजात पा ली जायेगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। आलम यह है की इस महंगाई से केवल व जनता ही पीस रही है, जिनके पैसे से सरकार चल रही है और उसके मंत्री मजे की जिंदगी जी रहे हैं।

2 comments:

Anonymous said...

i feel the indian media has the power to help winning on all kinds of problem. the basic thing which is required is attitude towards the problem.
attitude shows whether we are finding solution to a problem or problems in the solution. when finding solution of a problem will occur all the problem will be solved.

Brijendra Singh

Anonymous said...

ACCHA LIKHTE HAIN AAP, GOD BLESS
KUCH AISI HI BAAT HAME NAZAR AAYI
पर स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को सबसे अधिक किसी ने समझा है तो हमारे एक परम मित्र ने, शादी के दिन साहब का ' मूत्र विसर्जन ' अनायास ही हो गया, अब जितने लोग उतनी बातें. तुरंत निहायत बेशर्मी से खड़े होकर बोले, "हें हें हें... ये है मेरा स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार "
FROM www.jan-sunwai.blogspot.com