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10.10.10

डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने दिया उत्तराखंड के राज्य कर्मियों और बेरोजगारों का तोहफा
उत्तराखंड का कोई युवा नहीं रहेगा अब बेरोजगार- डॉ.'निशंक'
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उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' को जिस दिन उत्तराखंड राज्य की बागडोर थमायी गयी थी। उसी दिन से निश्चित तौर पर उत्तराखंड में विकास की यात्रा ने एक नयी उड़ान भरना शुरू कर दिया था। इसकी सबसे बड़ी वजय थी,राज्य की बागडोर पहली बार एक युवा सोच के हाथों में आना। जिसने यकीनन इस राज्य को विश्व के मानस पटल पर एक नयी पहचान दिलायी है। फिर चाहे वह कुंभ जैसे महान आयोजन हो या स्पर्श गंगा जैसे अभियान या उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार के माध्यम से अपने पहाड़ अपने गांवों में रोजगार के अवसर देन की बात हो। डॉ.निशंक की युवा सोच ने उत्तराखंड के विकास पटल पर जो भूमिका लिखी हैं,वह आज दूसरे राज्यों के मुखियाओं को भी प्रेरित कर रही है। अब लोग उत्तराखंड की नयी सोच और नयी उम्मीद की तरफ देखने लगे है। यह इसलिए भी सुफल और सफल हैं कि इससे पहले उत्तराखंड की भूमिका में किसी ने इस तरह के खुबसूरत रंग नहीं भरे थे। जिसके कारण पहाड़ निरंतर मैदान बनते हुए अपनी सांस्कृतिक विरास्त को खोते जा रहे थे। लेकिन डॉ.निशंक ने अपने सुफल प्रयासों से इस सांस्कृतिक विरास्त को अपने जीवंन सोच और कर्मठ कार्यप्रणाली के माध्यम से एक नये परिवेश में डाल दिया है। जिसका फयाद पूरे प्रदेश की जनता को उनके समक्ष दिखायी दे रहा है।
उत्तराखंड में पलायन के समस्या यकीनन किसी से छुपी नहीं है। लेकिन पहाड़ को निरंतर मैदान बनने से रोकने के लिए जिस तरह के प्रयास निशंक सरकार कर रही है। उससे साफ दिख रहा हैं कि पहाड़ फिर से फलती और फूलित होगें,यहां फिर से एक टूटी घर संवर जाएगा और पहाड़ फिर से पहाड़ की तरह चहलकदमी करते हुए पहाड़ों में ही दिखायी देगे। उन्हें खुद की रोजी-रोटी के लिए मैदान तो कतई नहीं बनना पड़ेगा। इसी दिशा में निशंक सरकार इन दिनो पुर जोर कोशिश में लगी हो। शायद इसी का नतिजा हैं कि उत्तराखंड में बहुंत जल्द बेरोजगारों के लिए रोजगार के द्वार खुलने वाले है। बर्शेतें की आपके पास अनुभव हो,क्षमता हो और आप पहाड़ पर चढ़ने की हिमाकत रखते हो।
डॉ.निशंक ने अपने अभी तक के अपने इस छोटे से कार्यकाल में ख़ास तौर पर उत्तराखंड के बेरोजगारों के लिए जिस तर से रोजगार के द्वार खोले है। वह आज सबके सामने है,फिर चाहे वह पुलिस पदों की भर्ति हो या फिर समुह 'ग' के पदों पर भर्ति और अबॉ एलटी शिक्षकों की भर्ती,जिसके लिए 1500 एलटी शिक्षकों की भर्ति राज्य में होनी है। इसके लिए सरकार ने हरी झंडी दे दी है। जिसकी परीक्षा का जिम्मा उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय को सौंपा गया है। विद्यालयी शिक्षा विभाग ने मंगलवार को इसका जीओ भी जारी कर दिया। परीक्षा कराने और रिजल्ट जारी करने की सारी प्रक्रिया अगले तीन महीने में पूरी की जानी है। विद्यालयी शिक्षा विभाग में एलटी की करीब 1400 पद खाली है। उच्चीकरण से भी काफी पद रिक्त हुए हैं। इन पदों के साथ ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन और शिक्षा का अधिकार कानून के तहत और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए करीब 1700 पदों के लिए भर्ती परीक्षा कराने का निर्णय भी निशंक सरकार ने लिया है। इन्हीं के साथ 5 प्रतिशत वे पद भी शामिल किए जाएंगे जो सीधी परीक्षा से भरे जाने हैं।
इसी के साथ राज्य मंत्रिमंडल के प्रदेश के विभिन्न विभागों के कार्मिकों को पदोन्नति एवं रिक्त पदों को भरने का तोहफा भी दिया है। सरकार ने प्राकृतिक शिक्षा एवं योग को भी स्कूली शिक्षा से ही प्रारम्भ करने का निर्णय लेने के साथ ही नदियों में जलस्तर कम न हो इसके अध्ययन के लिये हिमनद प्राधिकरण बनाने का भी निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में सचिवालय परिसर में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिये गये निर्णयों में विभिन्न विभागों में 18 हजार पद रिक्त हैं। अहर्ता पूरी न कर पाने के कारण पदोन्नति कार्मिकों की नियुक्ति भी नही हो पाती। जिसके चलते सभी विभागों के लिये कार्मिक विभाग ने नई नियमावली बनायी गयी। अभी तक अर्हता के प्रस्ताव शासन को भेजे जाते थे। अब अर्हता की आधी अवधि पूरी होने के बाद विभाग स्वयं प्रस्ताव तैयार कर सकेंगे। राज्य में विकलांग व्यक्तियों के लिये भी तीन प्रतिशत आरक्षण लागू है किन्तु अलग-अलग रूप में विकलांगों की तैनाती में दिक्कत आ रही थी। अब विकलांग व्यक्ति एक दूसरे के लिये प्रतिस्थापनी बन सकेंगे।मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की पालिकाओं के खाली पड़े पदों को भी भरने का निर्णय लिया है। पालिकाओं में अवर अभियंता, लेखाकार व खाद्य निरीक्षक के 143 में से 106 पद लम्बे समय से खाली हैं। अब आडट सोर्स से अवर अभियंता के आठ, लेखाकार के 28 व खाद्य निरीक्षक के 70 पदों को भरा जायेगा। आयुष विभाग के अंतर्गत विभागीय पद भरने के लिये भी सेवा नियमावली प्रदयापित की गयी है, जिससे भारत सरकार से मान्यता मिल सके। बल्ड रोस्टिंग वेब में 4 वैज्ञानिकों को रखने के साथ अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी न मिलने के कारण रीडर के तीन व लेक्चरर के नौ पदों को सामान्य से भरने का निर्णय भी लिया गया। होम्योपैथी के 31 व 24 आयुर्वेद चिकित्सकों की संविदा अवधि एक वर्ष और बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। मंत्रिपरिषद ने राज्य में शिक्षा के अंदर प्राकृतिक शिक्षा व योग को व्यापक पैमाने पर लागू करने का निर्णय लिया। इसके लिये बनी समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए अगले सत्र से ही बेसिक व माध्यमिक कक्षाओं में प्राकृतिक शिक्षा व योग की व्यवहारिक शिक्षा दी जायेगी। शिक्षा विभाग पाठ्यक्रम लागू होगा, तो आयुष विभाग इसमें सहयोग करेगा।मंत्रिपरिषद ने वित्त अधिकारी नियत सेवा अवधि में शिथिलीकरण का अधिकार शासन में निहित कर दिया है। अब तीन वर्ष की सेवा अवधि के बाद विशेष वेतनमान व 25 वर्ष की सेवा के बाद अतिकाल वेतनमान दिया जायेगा। सर्किल रेट के संबंध् में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हर दो वर्ष में जिलाधिकारियों को कारण भी बताना होगा कि 50 प्रतिशत से अधिक व बराबर रहने या कम होने पर जिलाधिकारी कारण बतायेंगे। सरकार को भी स्व प्रेरणा या आवेदन करने पर संशोधन की कार्यवाही का अधिकार होगा। देश में पहली बार ग्लेशियरों की सिकुड़ती स्थिति व नदियों में पानी की कमी पर हिमनद प्राधिकरण की स्थापना की गयी है। अभी तक इनके कारणों के कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं थे। विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री की अध्यक्षता में गठित प्राधिकरण में मुख्य सचिव सहित देश के प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों के निदेशक सहित 21 व्यक्ति होंगे। प्राधिकरण वर्ष में कम से कम तीन बैठकें करेगा। विश्व प्रसिद्ध तीन एनजीओ में से एक को आमंत्रित करने का अधिकार प्रमुख सचिव व सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को होगा। उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करेगा। एक महत्वपूर्ण निर्णय में नैनीताल स्थित ओक पार्क हाउस को कुमाऊं मण्डल विकास निगम को देने का फैसला लिया गया। राज्य सम्पत्ति विभाग ने एक हजार वर्ग मीटर के भूखण्ड व उस पर हुए निर्माण का आंकलन 99 लाख रूपये लगाया था जो के.एम.वी.एन राज्य सम्पत्ति विभाग को किस्तों में अदा करेगी।
इसके बावजूद अगर कोई व्यक्ति विशेष या कोई पार्टि विशेष डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' की कार्यप्रणाली और उनकी युवा शक्ति पर प्रश्न चिन्ह लगाता हैं,तो इसे मुर्खता के अलावा और क्या कहा जा सकता है। फिर कहां भी गया हैं कि,यदि कोई निरंतर आपके कार्य करने की क्षमता और कार्यप्रणाली पर बार-बार चोट करता हैं तो इससे यह साफ हैं कि आप अवश्य कुछ न कुछ बेहतर कर रहे है।
- जगमोहन 'आज़ाद'

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