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19.10.07

करता था सफ़ल जवानी को....

हय रुण्ड गिरे, गज मुण्ड गिरे, कट कट अवनी पर शुण्ड गिरे,
लडते लडते अरि झुण्ड गिरे, भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे।
निर्बल बकरों से बाघ लडे, भिड गये सिंह मृग छौनो से।
घोडे गिर पडे, गिरे हाथी, पैदल बिछ गये बिछौनो से।
चढ़ चेतक पर तलवार उठा, रखता था भूतल पानी को
राणा प्रताप सर काट काट, करता था सफ़ल जवानी को।
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अंकित माथुर

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