सावन आ गया है । दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों मे कभी तेज़ तो कभी धीमी बरसात हो रही है । बगल के घर मे बजते रेडियो पर अक्सर 'रिमझिम गिरे सावन - सुलग सुलग जाये मन ' भी बजता रहता है । अब मुझे ये नही पता कि वहाँ किसका मन सुलगता है और किसका नही। अपन का भी सुलगता है अगर इस रिमझिम बरसात मे घूँट ना लगे। आह्हा.... बरसात हो रही हो , हम घर की बालकनी मे मूढे पर बैठे हों , एक हाथ मे जाम हो और एक मे सिगरेट । ज्यादा बड़ा घूँट नही , छोटा छोटा सिप मारते हुए सामने पानी से सरोबार हो रही गली को देखना और शून्य मे खो जाना कितना रोमांटिक है (लेकिन हाँ , तब तक एक पैग ख़त्म हो जाना चाहिऐ , ये दूसरे पैग की बात है, ताकि सुरूर तो आया ही रहे )। यशवंत भाई ने कहा था चीयर्स करने को यहाँ भी सो अपन भी आ गए मैदान मे। भला दारू की बात हो , बरसात भी साथ मे हो तो अपन कहॉ पीछे रहने वाले ! सो हमसे रहा नही गया। कल गए और खरीद लाए एक पव्वा । रात मे बरसात हुई तो वैसे ही पी जैसे अभी ऊपर बताया था।जब पीते पीते टुन्न हो गए तो लिखना शुरू किया । (ज्यादा पीने वालो के लिए : बहुत दिन से अगर न पियें तो एक पव्वे मे ही टुन्न हो सकते हैं) एक गाना लिखा , हालांकि लिखा तो बहुत कुछ लेकिन वो यहाँ अभी नही दूंगा। भविष्य मे मौक़े आने पर उसे पोस्ट करुंगा ।ये है एक शराबी का गाना। जो आपकी पेशे खिदमत है .....
शराबी का गाना
शराब कड़वी नही होती
शराब मे नशा नही होता।
शराब दुःख नही देती ,
शराब सुख नही देती।
शराब पनीली होती है,
शराब नशीली होती है ।
शराब के लिए जीवन ख़त्म किया जा सकता है ,
शराब के लिए जिया जा सकता है।
शराब से अपराध का रिश्ता नही होता ,
शराब से निरपराध रिश्ता नही होता।
शराब महकती है ,
शराब गमकती है।
शराब से कुछ होश नही रहता ,
शराब के बाद कोई बेहोश नही रहता।
शराब कोई पीता ही नही ,
शराब से कोई जीता ही नही ।
शराब बेहिसाब होती है ,
शराब लाजवाब होती है ।
गाने शराब से बनते हैं ,
रुदाली भी शराब पीती है ।
लेकिन रुदाली तो जीती है।
रोती है , पीती है , जीती है।
बाक़ी तो शराब के इतने यादगार पल हैं जिन्हे सबको बताना है लेकिन वो आज नही , फिर कभी। तब तक साथियों ....
राहुल की तरफ से
जय भड़ास !!
19.10.07
शराब कड़वी नही होती
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