पैरोडी--कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
(अगर धुन में सुनना है तो नीचे है...)
चोर माल ले गए, लोटे थाल ले गए
मूंग और मसूर की वो सारी दाल ले गए
और हम डरे डरे खाट पर पड़े पड़े
सामने खुला हुआ किवाड़ देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
आँख जब खुली तो हाय, दम ही मेरा घुट गया
बेडरूम साफ़ था, ड्राइंग रूम रपट गया -२
टी.वी., वीसीआर गायब, डीवीडी सटक गया
और हम खड़े खड़े, सोच में पड़े पड़े
खाली खाली कैडियों की जार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
सैंडविच पचा गए, जूस भी गपा गए
चार अण्डों का बना के, आमलेट खा गए -२
माइक्रोवेव तोड़ गए, फ्रिज खाली छोड़ गए
और हम लुटे लुटे, बुरी तरह पिटे पिटे
शहीद हुए अण्डों की मज़ार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
क्राक्रिज ले गए, तिजोरी मेरी तोड़ गए
कोट मेरा पहन गए निकर अपनी छोड़ गये-2
शर्ट का पता नहीं, टाई मुझे मिला नहीं
और हम डरे डरे, भीत से अड़े अड़े
दीवार पर वो सेंध की मार देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
चोर माल ले गए, लोटे थाल ले गए
मूंग और मसूर की वो सारी दाल ले गए
और हम डरे डरे खाट पर पड़े पड़े
सामने खुला हुआ किवाड़ देखते रहे
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे
29.7.09
चोर माल ले गए...
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9 comments:
आपकी रचना लाजवाब है..
मेरे ब्लॉग में लगातार आने का और मेरा हौसला .बढाने के लिए धन्यवाद आपका
ये अच्छी बात नहीं है. काका हाथरसी रचित पैरोडी
में थोड़ा बहुत फेर-बदल करके प्रस्तुत कर दिया है
आपने. कम से कम उनका नाम तो दिया होता.
school me suni thi ye hasy kavita ..
purane din yaad aa gaye
सही कहा आपने, HMV ने एकEP रिकॉर्ड भी जारी किया था.
Marvelous. Thanks
𝕀 𝕥𝕙𝕚𝕟𝕜 हुल्लड़ मुरादाबादी की कविता भी थी उसमें,....
𝕀 𝕞
ℍ𝕒𝕤𝕨𝕒𝕟𝕚
ℍ𝕒𝕣𝕚𝕤𝕙 ℍ𝕒𝕤𝕨𝕒𝕟𝕚
𝔻𝕣 ℍ𝕒𝕣𝕚𝕤𝕙 ℍ𝕒𝕤𝕨𝕒𝕟𝕚
बिलकुल सही कहा आपने, ...
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