"भारतीय विद्या भवन" संस्थान में सेक्स के उधाहरण देकर युवाओं को पढाया जा रहा है मॉस कम्युनिकेशन.
नयी दिल्ली "भारतीय विद्या भवन" संस्थान में अभी मॉस कम्युनिकेशन की क्लास शुरू हुए दो सप्ताह भी नहीं बीते है, कि अध्यापको ने सेक्स से सराबोर उधाहरण देकर क्लास में युवाओं की मानसिकता को झकझोर दिया है.
"विज्ञापन और पब्लिक रिलेशन" पढाने वाले अध्यापक ने विज्ञापन की सफलता और विफलता पर चर्चा करते हुए 72 घंटे वाली गोली "आई-पिल" और "अनवांटेड-72" का उधाहरण लिया, युवाओं ने रूचि दिखाई तो अध्यापक उधाहरण की गहराई में उतर गए... क्लास को बताया गया कि आजकल की लड़किया "आई-पिल" खुद नहीं खरीदती है बल्कि अपने "बॉय फ्रेंड्स" से मंगवाती है. अब युवाओं कि बड़ती हुयी रूचि को देखते हुए अध्यापक ने क्लास से ये भी पूछ डाला कि "तुम लडकियां "आई-पिल" खुद खरीदते हो या अपने बॉय फ्रेंड्स से मंगवाते हो". जबाव मिले झूले आये. मगर "आई-पिल" कि चर्चा क्लास में कई दिन तक छाई रही, अब भी किसी लड़की को एकांत में पाकर मनचले छात्र उससे पूछ डालते है कि "क्या आई-पिल लाकर दू"
इसके अतिरिक्त कम्युनिकेशन पढाने वाले अध्यापक महोदय ने तो हद कर डाली, कम्युनिकेशन के उधाहरण देते हुए क्लास को समझाया कि सेक्स करने के दौरान होने वाला 'दर्द' भी कम्युनिकेशन का एक अच्छा उधाहरण है, इस पर युवाओं ने गहरी गहरी सासे ली और काफी देर तक क्लास का माहोल कुछ रोमांटिक सा हो गया.
मैं अध्यापको के चरित्र, मानसिकता और सोच पर कोई सवाल नहीं लगा रहा हु मगर अब सवाल ये भी जरुरी है कि क्या ऐसे उधाहरण युवाओं को हैवी डोज तो नहीं दे रहे है, क्लास में गूंजने वाली साँसों कि आवाजे और एकांत में कसने वाली अश्लील फव्तियाँ क्या युवाओं में पढाई का माहोल छोड़ रही है. सब जानते है कि युवा सब जानते है, मगर सब युवा उन चंद युवाओं के माहोल वाले भी तो नहीं जो आधुनिकता की दौड़ में कुछ ज्यादा ही आगे निकल चुके है.
क्लास के 50 बच्चो के माता-पिता अगर ये सच्चाईयां पता चले तो शायद उनमे काफी अपने बच्चो को इस पढाई से वंछित कर देंगे. क्युकी उनके नजर में "भारतीय विद्या भवन" संस्थान की इमेज एकदम साफ़ सुथरी है.
इसलिए इस संस्थान से उम्मीद की जाती है कि अपनी इमेज को साफ़ सुथरी ही बना कर रखे...
27.7.09
sex in mass communication
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3 comments:
media ke khulepan se ab kuch be chupa nahe hai.net par knowledge ke kya kame hai jo teacher is tarah ka gyan de. ise to us teacher ke kharab dimag ke upaj kaha jayega.
aise hi teacher matuknath ki katar mein aate hai. unhe apna frastation class mein nahin nikalna chachiye. main bhi bhartiya bhawan, kanpur ka student raha hoon aur iski ghor ninda karta hoon."chutia hai saala".
Kya kahe aajkal ki padhai ko bas jo hota hai wo karna padta hai, student jab jaan ke bhi anjaan banana chahta hai,
agara faculty naaraz to internals gaye, aur khush to students gaye, aur kaise bhi dubana student ko hi padta hai..
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