नवरात्र पर बच्चों की सेफ्टी को लेकर चिंतित पैरंट्स ने निगरानी का नया तरी
का आजमाना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्हें डिटेक्टिव एजंसी के पास जाने के बजाय थोड़ा हाइटेक होने की जरूरत है।एक टेक्सटाइल व्यापारी,जो कि हर साल नवरात्र पर अपने दोनों बच्चों की निगरानी रखने के लिए डिटेक्टिव एजंसी की सेवाएं लेते थे, इस बार सॉफ्टवेयर की मदद लेंगे। बच्चों के फोन में इस सॉफ्टवेयर के इंस्टॉल होने से उन्हें बच्चों गतिविधियों की जानकारी रहेगी। एक बेटी के पिता और उन जैसे कई और पैरंट्स भी बच्चों की निगरानी का यह नया तरीका आजमा रहे हैं। एक बार बच्चों के फोन पर यह सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होने के बाद पैरंट्स को बच्चों के फोन से डायल होने वाले नंबरों और रिसीव होने वाली कॉल आदि की डिटेल मिलती रहेंगी। यहां तक कि जो मेसिज आएंगे या भेजे जाएंगे, उनकी डिटेल और कंटेंट भी पैरंट्स को मिलते रहेंगे। यह तरीका ज्यादा तेज और किफायती भी है। स्पाइवेयर क्षेत्र से जुड़ अधिकारी के कहते हैं कि इस सॉफ्टवेयर से पैरंट्स को बच्चों की लोकेशन का भी पता लगता रहेगा। पैरंट्स से इस तरह के सॉफ्टवेयर के कई ऑर्डर पा चुके सावलिया बताते हैं कि यह तरीका पैरंट्स के बीच काफी पॉपुलर हो रहा है। इस सॉफ्टवेयर की कीमत 500 रुपये है और इसका इंस्टॉलेशन 1,000 रुपये में होता है। यह ऑनलाइन उपलब्ध है और इसका पिन नंबर पाने के लिए लोकल डीलर से संपर्क करना होता है। हालांकि कुछ बच्चों को यह आइडिया अच्छा नहीं लग रहा है। कॉलेज स्टूडेंट राधिका को जब अपने फोन में पैरंट्स द्वारा यह सॉफ्टवेयर डाले जाने का पता लगा तो उन्होंने भी बचने का हल निकाल लिया। उनके मुताबिक, जैसे ही मैं नवरात्र पर घर से निकलूंगी, अपना फोन चेंज कर लूंगी।
26.9.09
नवरात्र में टीनएजर्स पर सॉफ्टवेयर की नजर
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