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20.9.09

वांटेड दक्षिण की पोक्किरी

जबलपुर से....
जबलपुर में मुझे दो माह से ऊपर हो गया है... जब भी मन नही लगता पास ही की ज्योति टाकिज में फ़िल्म देखने चला जाता हूँ॥ इस तरह मैंने अब तक कुल जमा ज्योति टाकिज में तीन फिल्में देख ली है। पहली थी 'फॉक्स', दूसरी 'आगे से राईट' , अभी शनिवार को देखी 'वांटेड' । जिंदगी में इससे भी हाउस फुल शो देखे थे... लेकिन टिकिट कैसे ब्लैक होती है ये तो पहली बार ही देखा। ज्योति में अलग-अलग टिकिट के अलग अलग दाम है। १० रु जिसमे आपको ठीक परदे के नीचे वाली सीट पर बैठने का मौका मिलेगा। आप सर उठा कर फ़िल्म देखेंगे। साथ ही हीरो - हीरोइन को खास कर आइटम डांसर को पास से देखने का पुरा मौका। उसके बाद १५ रु, २५ रु, ३५ रु, और ५० रु की टिकटें भी होती है जैसी सुविधा वैसी टिकट। मुझे अच्छा सिस्टम लगा। हाँ तो मैंने पहली बार टिकिट ब्लैक होते देखी - १५ का २५ में। २५ का ५० में। लेकिन हमने तीन टिकिट ले ली विण्डो से 30 वाली

फ़िल्म - वांटेड, निर्देशक - प्रभुदेवा, निर्माता - बोनी कपूर
कलाकार - सलमान खान, आयशा टाकिया, प्रकाश राज , महेश मांजरेकर और अन्य

फ़िल्म की स्टार्टिंग मार-काट से होती है और मार-काट पर ही ख़त्म। फ़िल्म की स्टोरी पुराने स्टाइल की है जिसमे एक पुलिस वाला होता है जो अंडरवर्ल्ड का खत्म करने के लिए एक गुंडे के रूप में उनके गैंग में शामिल होता है... और फ़िर सबको मरना शुरू कर देता है। राधे(सलमान) गुंडे के रूप में ऐसा करता है। अकेले ही बन्दूक धारी गुंडों को चुटकी में मसल देता है... फ़िल्म देख कर ऐसा लगता है जैसे की हम कोई दक्षिण की फ़िल्म देख रहे हो। बाद में पता चला की ये दक्षिण की ब्लाकबस्टर फ़िल्म पोक्किरी का हिन्दी रूपांतरण है। आयशा टाकिया ने मिडिल क्लास की लड़की का रोल प्ले किया है, जिसे राधे से प्यार हो जाता है। वो जानती है की राधे गुंडा है लेकिन लोगो की मदद भी करता है। पर वो सोचती है की उसका प्यार राधे को बदल देगा। कहानी के अंत में पता चलता है राधे पुलिस ऑफिसर है। फ़िल्म में महेश मांजरेकर ने धूर्त पुलिस वाले का रोल बखूबी निभाया है...
कहानी भले ही पुरनी थी लेकिन मनोरंजन को प्रमुखता देने वाले प्रभुदेवा ने कहीं भी कहानी में उबाऊपण नही आने दिया। सलमान हीरो था तो निश्चित बात थी की थोडी बहुत तो फ़िल्म में टपोरी गिरी होगी उस तरह के संवाद भी होने सो थे और फ़िर शर्ट भी उतारी, सलमान ने अपना बदन भी खूब दिखाया .... फ़िल्म ठीक थी, पैसा बसूल। लेकिन मार-काट की अधिकता के चलते मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को शायद न खींच पाए। फिलहाल तो रेस्पोंसे अच्छा है... सिंगल स्क्रीन थियेटर में खूब भीड़ लग रही है... टिकिट ब्लैक भी हो रही है.... वैसे सलमान को एक अदद हित फ़िल्म की जरुरत थी और बोनी कपूर को पैसे बनने थे सो बना लिए। फ़िल्म का संगीत पक्ष बेहद कमजोर है.... कोई भी गाना जुबान पर नही चढा। शुरू के एक गाने में अनिल कपूर, गोविंदा और ख़ुद प्रभू देवा ने डांस किया।


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