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29.9.09




एक साल पुरा होने को आया जब ये कानून बना था । "सार्वजानिक जगहों पे धुम्रपान वर्जित है "लेकिन आज भीइस कानून का मजाक उड़ते हुए आप एक नजर में देख सकते है । सार्वजानिक जगहों को छोड़ दीजिये दिल्ली कीकिसी भी बस को ले लीजिये उस का ड्राईवर या उस बस का टिकिट देने वाला आप को बीडी पीते हुए दिख जायेंगे । खैर इनको छोड़ भी दे तो किसी चौराहे की मसहुर दुकान को ले लीजिये वहा १ घंटे के अंदर ही थानेदार साहब आपको सिगरेट पीते हुए दिख जायेंगे या फिर आप का संयोग ठीक नही है तो थानेदार साहब नही मिले तो उनका चमचा सिपाही तो जरूर मिल ही जाएगा । और इनके साथ -साथ वहा बहुत से लोग मिलेगे जो आराम से धुम्रपानकर रहे है ।

तो मैं ये जान ना चाहता हु की क्या फायदा इस कानून का होने और न होने का क्यो कानून की किताब में पेज बढ़ाकर देस के कागज को खर्च किया जाता है और साथ ही साथ कानून के स्टुडेंट का भी समय बर्बाद किया जाता है तो क्यो कानून में संसोधन कर के पुराने और बुढे वकीलों को परेसान किया जाता है
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