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26.9.09

भाजपा सरकार के मंत्री भी अधिकारियों समेत विदेशों के सैर-सपाटों पर

भाजपा सरकार के मंत्रियों के विदेश सैर सपाटो की तुलना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के दौरे से की जाने लगी है, जनता में मंतियों के दौरे को लेकर नुक्‍ताचीनी शुरू हो गयी हैा दौरे कांग्रेस सरकार में विदेशों की सैर करने वाले मंत्रिायों की तरह भाजपा सरकार के मंत्री भी इन दिनों विदेशों के दौरों पर सैर-सपाटा करने में लाखों रूपये राज्य सरकार के खर्च करने में जुटे हुए हैं। एक तरफ तो प्रदेश सरकार मितव्ययता किए जाने की बात कह रही है वहीं उनके मंत्री का विदेशों में सैर करने के नाम पर लाखों के खर्च का बोझ राज्य सरकार पर डाल रहे हैं। पिछली कांग्रेस की पांच साल के कार्यकाल में ’अध्ययन‘ के नाम पर विदेश की सैर करने में करोडों रूपये पानी की तरह बहा दिये गये थे और अध्ययन के नाम पर वहां से क्या हासिल किया जा सका, यह आज तक जनता की समझ से परे है। कांग्रेस की सरकार में हालात ऐसे हो गए थे कि मंत्रियों के साथ अधिकारी भी विदेश की सैर का जमकर लुत्पफ उठाते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री एनडी. तिवारी से लेकर लोक निर्माण मंत्री इंदिरा हृदयेश, स्वास्थ्य मंत्री तिलक राज बेहड, वन एवं शहरी विकास मंत्री नवप्रभात, पर्यटन मंत्री टीपीएस रावत, शिक्षा मंत्री नरेन्द्र सिंह भंडारी, उद्यान एवं खाद्य ग्रामोद्योग मंत्री गोविन्द सिंह कुंजवाल, कृषिमंत्री महेन्द्र सिंह महरा सहित सभी मंत्री एवं आधा दर्जन से अधिक विधायक भी अध्ययन के नाम पर विदेशों में मौज-मस्ती मार आये। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने उक्रांद बसपा व भाजपा के विधयकों को भी विदेशों की सैर कराई। अब उसी तर्ज पर भाजपा सरकार के मंत्री भी चल रहे हैं। इन दिनों कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत स्कॉटलैंड, लंदन एवं कई देशों की सैर पर हैं तो शिक्षा मंत्री मदन सिंह कौशिक भी अपने अधिकारियों के साथ चीन के पर्यटक स्थलों का लुत्फ उठा कर आये हैं। इधर सरकार दावा कर रही है कि कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का खर्च पतंजलि योगपीठ वहन कर रही है। वे राज्य सरकार किसी भी प्रकार का खर्च नहीं लेंगे। वहीं दूसरी तरपफ प्रदेश के पर्यटन एवं आबकारी मंत्री मदन कौशिक चीन की यात्रा सरकारी खर्च पर कर रह हैं। एक तरफ तो प्रदेश सरकार केंद्र से राज्य को धन न देने का रोना रो रही है वहीं दूसरी तरफ सरकार के मंत्री विदेशी सैर करने में मशगूल है। ऐसे में प्रदेश को मिलने वाले स्वच्छ वातावरण की कोई कल्पना नहीं की जा सकती। जनता की गाढी कमाई को यदि मंत्री इसी तरह विदेशी सैर मे ंखर्च करते रहे तो यह आने वाले २०१२ के विधनसभा चुनाव में एक बडा मुद्दा बन सकता है। राजनैतिक समीक्षक मंत्रियों की विदेशी सैर को जायज नहीं मानते हैं। वे कहते हैं कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के जिन मंत्रियों ने अध्ययन के नाम पर विदेशी सैर की उनमें से अधिकतर राज्य को तो कुछ भी नहीं दे पाए लेकिन जनता ने उन्हें हार का तोहफा देने में तनिक भी देर न लगाई। यदि भाजपा सरकार के मंत्रियों ने जल्द ही कांग्रेसी सरकार के मंत्रियों से सबक नहीं लिया तो वह दिन दूर नहीं जब २०१२ के होने वाले विधनसभा चुनाव में प्रदेश की जनता उन्हें भी हार का तोहफा देने में कतई संकोच नहीं करेगी।.......

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