आज मन थोडा उदास था. उसने आत्महत्या कर ली. उसे मैं नहीं जानता था, मैंने देखा भी नहीं था. सुना कि वह सुंदर थी, पढने लिखने में भी ठीक थी. अभी किशोरावस्था की देहलीज पर थी. उसके मां-बाप झगड़ते रहते थे. इस झगडे में उनका इतना समय चला जाता था कि अपनी जवान होती बच्ची से बात करने, उसकी समस्याओं को समझने का उनके पास वक्त ही नहीं बचता था. ऐसे ही एक दिन वे झगड़ते रह गए और सुगंधा ने अपने कमरे में जाकर फन्दा लगा लिया.
विस्तार से बात-बेबात पर
1.5.10
उसने आत्महत्या कर ली
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