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31.5.10

बंद करो यह लव,सेक्स और धोखा

समाज में आजकल जो मुद्दा सबसे ज्यादा गर्म है वह है लव, सेक्स और उसके बाद धोखा. संस्कृति के नाम पर प्यार को बदनाम करने का क्रम जारी है. कुछ समाजशास्त्री प्यार, शारीरिक सबंध आदि को गलत मानते हैं तो कुछ इसे सही. इस हो-हल्ले में शायद कुछ अनदेखा रह गया. काफी सोचा और फिर ठाना कि मैं भी इस विषय में अपनी राय रखूंगा, हो सकता है कोई नया नजरिया मिले मुझे या मेरे द्वारा किसी और को.

भारत में प्यार(यानी आशिकी) के मायने

Radha Krishnaभारत कृष्ण की जन्मभूमि है, वही कृष्ण जिनकी कई हजार गोपियां थीं. राधा को उनकी प्रेमिका का दर्जा प्राप्त था. जी हां, आजकल की भाषा में आप राधा को कृष्ण की गर्लफ्रेंड कह सकते हैं. लेकिन समाज का भेदभाव देखिए कृष्ण के इस प्यार को(जो अगर सही से देखें तो गलत था) उसे भी कृष्ण की रासलीला मान उसका मजा लेता है लेकिन उसी रासलीला को देखने के बाद जब पार्क में किसी प्रेमी-युगल को देखता है तो उसे गाली देता है. खैर, श्रीकृष्ण की बात सिर्फ इसलिए कर रहा हूं ताकि एक उदाहरण दे सकूं कि भारतीय समाज में प्रेम कितना पुराना है और संस्कार और संस्कृतियों को ठेंगा दिखा कर आप प्रगतिशील नहीं कहलाएंगे . वरना यह तो वही बात हुई न कि कृष्ण करें तो रासलीला हम करे तो करेक्टर ढीला. आखिर जब हमारा समाज कृष्ण जी की प्रेमलीला को पवित्र मानता है तो क्या उसको सभी को समान दृष्टि से नहीं देखना चाहिए.

फिर यहां चन्द्रगुप्त, अर्जुन, पृथ्वीराज चौहान आदि कई प्रेमी भी हुए कुछ सफल तो कुछ असफल. कइयों के बारे में तो खुद हमारे बुजुर्ग कहानियां सुनाते थे. लेकिन मजाल कि वह सुन सकें कि हमें भी किसी से प्रेम हो गया है. चलिए यह बात तो हुई इतिहास की जरा वर्तमान को देख लीजिए. प्रेम करना जुर्म है, और इसकी सज़ा मौत भी हो सकती है – यह मैं नही समाज कहता है. आज का समाज जो पाश्चात्य को तो अपना रहा है लेकिन उसकी अन्य चीजें अपनाने में पता नही क्यों असहजता महसूस कर रहा है.

गलती किसकी – युवाओं की या हमारी संस्कृति की

एक बार और गंभीरता से सोचना पड़ा और पाया कि मुझे युवा होने के कारण युवा वर्ग के साथ पक्षपात नहीं करना चाहिए. गलती कहीं न कहीं हमारी भी है यानी युवा वर्ग की भी रही. समाज में प्रेम का बड़ा अलग स्थान है यानी अगर आप छुप-छुप कर जो करना चाहो कर लो, अगर उसकी भनक किसी को लगी तो गए काम से समझो और हां कभी-कभी जान से भी.

relationsआजकल प्यार के मायने बदल गए हैं. युवा वर्ग ने प्यार को मात्र दैहिक संतुष्टि का जरिया मान लिया है. जिसे चाहो उसे प्रेमी या प्रेमिका बना लो, और फिर अपना काम बनता है तो भाड़ में जाए जनता. कुछ लोगों की वजह से सब लोगों की नजरों में प्यार की नई परिभाषा आ गई है. अब प्यार को धोखे का पर्याय माना जाने लगा है. गलती सिर्फ लड़कों की नहीं है, कई बार लड़कियां भी लड़कों को पीछे छोड देती हैं. प्यार को प्यार नही मात्र बेढंगा दिखावा बना दिया गया है, हाथ में मोबाइल लो यह मत देखो कि आसपास कोई बड़ा है या नहीं बस शुरु हो जाओ अपनी दुनिया की बातें करो. पार्क आदि सामाजिक स्थलों को अपने दैहिक संतुष्टि करने के लिए इस्तेमाल करो और संस्कृति को तो मानों बिस्तर के नीचे रख कर सो जाओ. यह कुछ ऐसी वजहें हैं जिनकी वजह से बड़े प्यार के नाम से चिढ़ने लगे हैं. उन्हें लगता है कि हर लड़का/ लड़की एक जैसे होते हैं सिर्फ मतलबी और सेक्स के लिए प्यार करना जानते हैं.

बनना तो है पश्चिमी देशों की तरह लेकिन करना वैसा नहीं

सबसे बड़ी परेशानी की वजह, हम सब ने पश्चिमी देशों जैसा बनने की सोच तो ली लेकिन उनकी कुछ आदतों से परहेज ही रखते हैं. हम क्यों भूल जाते हैं कि “गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है”. मोबाइल और इंटरनेट ने बाकी की दूरियां छुमंतर कर दी हैं.

सही कौन, कौन गलत- पता नहीं

यह तो एक आम परेशानी है कि कौन सच्चा प्रेम करता है और कौन मात्र दैहिक संतुष्टि के लिए. कई बार तो इस पेशमपेश में सही बंदे भी डूब जाते हैं.

लव में सेक्स – सही या गलत ?

2 comments:

RAJNISH PARIHAR said...

आप खुद भ्रमित है की किसे सही कहें?वरना भगवान् कृषण का उदहारण नही देते !आप क्रिशन की तुलना पार्क में बैठे युवाओं से कर रहे है !अब किसी को स्तन पान कराती महिला में भी सेक्स नज़र आता है तो अब क्या कहें?

Ajay Keshari said...

महोदय आपने प्यार की जो परिभाषा बताई वह कुछ समझ में नहीं आई, आपने राधा और कृष्ण की तुलना आज की पीढ़ी से कर दिए, राधा और कृष्ण के प्रेम में स्वार्थ नहीं था, जहाँ तक पचिमी सभ्यता की बात आती है तो वहां भी खुलेआम प्रेम गलत माना जाता है और क्या उनकी बुराईयों को अपनाऊ, जरुरी तो यह है की अगर कुछ अपनाना ही है तो उनकी अच्छाई को अपनाऊ.