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11.5.10

मझे विज्ञापन से बचाओ ?


विज्ञापन आज के दौर में हर कोई इसका अर्थ समझता होगा। हम अपने आस पास ना जाने कितने तरह से विज्ञापनों को देखते है। मोबाईल, होर्डिंग, अखबार, टीवी, रेडियों, इंटरनेट, रेल, बस, कार और ना जाने कहां कहां इनका असर देखा जा सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि विज्ञापन आखिर कितना जरूरी...
मेरा अपना मानना है कि लगभग 70 से अधिक फीसदी लोग इनको देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते है। फिर भी ये जबरदस्ती लोगों पर थोपे जा रहे है क्यों... मेरे पास मोबाईल है दिन में ना जाने कितने अनवांडेट कॉल ना चाहते हुए भा उठाने पड़ते है पता नहीं कौन होगा। मैं लगभग रोजाना नेट सर्फिंग करता हूं... किसी भी साइट को खोलता हूं तो पहले किसी का विज्ञापन दर्शन देता है। सड़क पर बाइक या कार चलाता हूं तो रास्ते के होर्डिंग पर नजर जाती है जिसमें दुर्घटना होने के आसार होते है। मोबाईल पर 24 घंटों में करीब 10 से 15 एस एम एस आते है। उन्हें डिलीट करते रहो। प्रत्येक किस्म के विज्ञापन में कुछ ना कुछ साईड इफेक्ट तो जरूर होता है। एक तो आज के समय में इंसान कोई भी काम ध्यान से नहीं कर पाता है, ऐसे में विज्ञापन ने उसका दिमाग और ठस कर दिया है। टीवी पर कोई कार्यक्रम देखता हूं तो फिर से विज्ञापन। ऐसे में अगर किसी का कोई नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा...ऐसे ऐसे विज्ञापन बनाये जा रहे कि लोगो के दिमाग हिल रहा है। मेरा दिमाग खराब हो गया है। मैं तंग आ गया हूं.. परेशान हो गया हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मुझे तकलीफ हो रही है। क्या मुझे इंसाफ मिल सकता है? ऐसे हालात मेरे ही नहीं होंगे ना जाने कितने लोग इससें दुखी होंगे। आप शायद मेरी मन की दशा को समझ रहे होंगे। आपकी भी ऐसी स्थिती कभी ना कभी जरूर हुई होगी। क्या भारत के कानून में इसके लिए कोई प्रावधान है ?

मैं मानता हूं कि किसी भी कम्पनी के लिए विज्ञापन बेहद जरूरी है। लेकिन जबरदस्ती किसी को विज्ञापन दिखाना या बताना कितना आवश्यक है। भई आपको विज्ञापन दिखाना अथवा बताना ही तो कुछ ऐसी व्यवस्था करो ना, जिससे कि लोग उसे दिल से देखना पसंद करे। जैसे अगर आप मोबाइल पर एस एम एस करते है तो उसका कुछ प्रतिशत पैसा उपभोक्ता को अदा करे यकिन मानिए भारत में लोग आपका प्रचार लोग खुद तो देखेंगे ही औरों का भी दिखायेंगे। कुछ ऐसी तरकीब निकालो कि आदमी को इससे कोई दिक्कत ना हो और वो स्वंय एडवरटाईस देखे। इतना पैसा खर्च करते है थोड़ा और सही..

इस लेख में अगर कुछ गलत हो तो मैं अपेक्षा करता हूं कि आप मेरा मार्गदर्शन करेंगे।

सूरज सिंह।
surajsinghsolanki.ning.com

4 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

aadrniy singh saahb aap vigyaapn se aasaani se bch skte hen aap aek aam hindustaani bniye vigyaapn adhiniym jismen kul prkaashn kaa 25 prtisht se zyaadaa vigyaapn nhin diyaa jaa sktaa or vigyaapn konse kese denge iska bhi qaanoon he bs iski paalnaa krvaa lo nhin to mujhe post kro men mdd krungaa. akhtar khan akela kota rajathan

arvind said...

आपको विज्ञापन दिखाना अथवा बताना ही तो कुछ ऐसी व्यवस्था करो ना, जिससे कि लोग उसे दिल से देखना पसंद करे। ...bilkul sahi kahana hai aapka.

Anonymous said...

आपके विचार से विज्ञापन रोकने के लिए भी कोई विज्ञापन ही देना होगा :)

सत्य प्रकाश

Anonymous said...

आपके विचार से विज्ञापन रोकने के लिए भी कोई विज्ञापन ही देना होगा :)

सत्य प्रकाश