Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.5.10

देश में एक और घोटाला


घोटालें पर घोटालें... भारत में हर रोज एक नया घोटाला सामने आ रहा है। देश का एक एक आदमी इस स्थिती से खासा परेशान हो गया है। मुझे अगर कोई कहें कि आजादी के बाद से लेकर अब तक के हुए सभी घोटालों पर समीक्षा लिखों तो मै यकीनन नहीं लिख पाऊंगा। इस लेख को लिखते हुए जहन में तरह तरह के सवाल मन में कौंध रहे थे। मैं देश में लगातार जारी घोटालों के बारे में लिख रहा हूं, लेकिन लिखने भर से कुछ होने वाला है नहीं। फिर सोचा कि मेरा काम लिखना है तो मैं अपने काम से समझौता क्यों करूं। क्या पता कुछ हो जाएं, उम्मीदें तो जरुर रखनी चाहिए। हर घोटाले के पीछे दौलत होती है हर आदमी बस इसी के पीछे पागल हो गया है। बस, पैसा कमाना है चाहें किसी जान जाये या कुछ भी। इन लोगों का सिद्धांत केवल इतना है... "अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता"

अभी देश के लोग का दिल दंतेवाड़ा में मारे गये शहीदों को लेकर काफी दुखी था। ऐसे में बीते दिन आयी खबर ने सभी लोगों को गलियाने पर मजबूर कर दिया। वजह हमने आस्तीन में ही सांप पाल रखे है। सी आर पी एफ के ही कुछ जवान पैसों के लिए अपने ही साथियों की जान से खेल रहे है। देश की सुरक्षा में आये कारतूसों को माफियाओं और नक्सलियों को बेचा जा रहा है। बेहद शर्म की बात है। जिस दिन दंतेवाड़ा की घटना हुई थी तो मैनें ब्लॉग पर लिखा था कि नक्सलियों को आधुनिक हथियार देश के बाहर से आ रहे है। लेकिन कल की खबर नें मेरे पांव तले जमींन खिसका दी, जिन लोगों पर देश की सुरक्षा व्यवस्था का दारोमदार है, उन्हीं में से कुछ जवान हमारे साथ, अपने परिवार के साथ और देश के साथ गद्दारी कर रहे है। हैरानी की बात ये है कि गैंग का सरगना सुरक्षा सेवा से रिटायर एक अधिकारी है। दुख की बात ये ही हमले में मारे गये जवान यू पी के सबसे अधिक थे और गद्दार भी यू पी के ही निकले। बहरहाल, एस टी एफ ने इन सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, अब देखना ये होगा कि पकड़े गये गैंग से पुलिस आगे की कितनी कड़ियां खोल पाती है। क्योंकि हमारे देश में गद्दारों की कमीं नहीं है।

आखिर कमीं किस जगह है जो लोग अपनी अहमियत और बगैर कुछ आगे पीछे देखें देश के गद्दार बनने को तैयार हो जाते है। हमें खुद ही अपने विवेक से काम लेना होगा और अपने देश को बचाना होगा। बेशक ये काफी मुशकिल काम है लेकिन असम्भव नहीं है। एक कोशिश जरूर करनी चाहिये...

सूरज सिंह।

No comments: