श्रीगंगानगर--जिंदगी में छोटी छोटी बातें भी बहुत रस प्रदान करती हैं। रस कैसा! ये पढ़ने,सुनने वाले पर निर्भर करता है। कहते हैं -जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत ........... । जयपुर से रींगस के बीच आजकल अलौकिक दृश्य मन को पुलकित कर देता है। यह दृश्य है खाटू श्याम,खाटू नरेश के प्रति श्रद्धा रखने वालों का। यात्रियों के रेले के रेले श्याम के रंग में रंगे खाटू के दरबार में जा रहे होते हैं। इनके पास होती हैं बड़ी बड़ी ध्वजाएं । अलग अलग रंगों की ये पताकाएं ऐसा आभास दिलाती हैं जैसे प्रकृति के सभी सुन्दर और शुभ रंग इनमे समाहित हो गए हों। फाल्गुनी बयार में जब ये लहरातीं है तो उस सड़क से गुजरने वाले लोगों के दिलों में श्रद्धा,आस्था,भक्ति का समन्दर उमड़ने लगता है। जी करता है कि वह भी इन पथिको के साथ पथिक हो श्याम के रंग में रंग जाये। लेकिन सभी तो बाबा के दरबार में पहुँच नहीं सकते। कहते हैं जिसको बाबा बुलाते हैं वही जाते हैं। खाटू नरेश के इन बन्दों के लिए थोड़ी थोड़ी दूर पर ठहरने,चाय,पानी,अल्पाहार,भोजन की व्यवस्था है। बड़े बड़े सेठ सेवादार बनकर इन पथिकों को खिलते नहीं बल्कि मनुहार करके परोसते हैं। जिनके पास ऐसा कुछ नहीं वह अपने घर के सामने से गुजरने वाले इन यात्रियों का पथ सुगम करने के लिए सबरी की तरह पथ साफ़ कर देता है। किसी के प्रति आस्था,श्रद्धा का इस से बड़ा सबूत और क्या हो सकता है।
जयपुर की ही एक और बात कर लेते हैं। पुलिया कंट्रोल रूम के सामने तिराहे पर कई यातायात पुलिस के को बन्दे ड्यूटी पर हैं। कई वाहनों के साइड में यह कह कर करवाते हैं कि उन्होंने ने नियमो का पालन नहीं किया। वे ये भी कहते हैं कि ऐसा वे नहीं कहते बल्कि कंट्रोल रूम वाले इधर उधर लगे कैमरे में देख कर बताते हैं। उनको रोका है तो चालान भी होगा। बचने के रास्ते भी हैं। एक बाइक वाले ने इंचार्ज से पूछा, क्या लगेगा? दो सौ, यातायात कर्मी बोला। साइड में आओ, बाइक वाले ने गरिमा दिखाई। पुलिस वाला बेशर्मी दिखाता हुआ बोला, यहीं दे दो। मेरे पास बहुत है। कोई चिंता नहीं। बाइक वाले ने वहीँ दो सौ रूपये दिए। पुलिस वाले ने ठाठ से जेब गर्म की। पुलिस कंट्रोल रूम के सामने। जहाँ कैमरे लगे हुये हैं। इन कैमरों में इस प्रकार के दो सौ रूपये तो शायद ही नजर आते हों। रोका तो हमें भी था। लेकिन यह कहकर कि आप तो काम के आदमी हो जाने दिया। अब ये अभी तक समझ नहीं आया कि जो कैमरे नियमों का पालन ना करने की बात कर रहे थे वे ठीक कैसे हो गए?
नगर विकास न्यास की चेयरमैनी के लिए अनगिनत लोग सपने देख रहे हैं। किस के भाग में क्या है कौन जानता है। किन्तु यह तो परम सत्य ही है कि गुरमीत सिंह कुनर के सम्बन्ध मुख्यमंत्री से बहुत की घनिष्ट हैं। एक तरफ से नहीं दोनों तरफ से। सरकार में जिले के एक ही मंत्री है। इसके बावजूद चेयरमैनी के किसी भी तलबगार ने श्री कुनर से सम्पर्क नहीं किया है। चेयरमैनी के लिए मुख्यमंत्री श्री कुनर से बात करें या ना करें , ये अलग बात है। मगर इस में तो कोई संदेह नहीं कि श्री कुनर किसी नाम की सिफारिश करेंगे तो उस पर गौर तो अवश्य होगा। विचार हमने दे दिया अब विमर्श वो कर लें जो न्यास का चेयरमैन बनने के प्रयास में हैं। किस के हाथ से क्या मिल जाये कौन जानता है। चलो होली की कुछ लाइन पढो। ये मेरी अपनी हैं। --" आया भरतार , ना लगाया रंग। प्यासी गौरी ,लग गई अंग। "
13.3.11
छोटी छोटी बातें
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
Labels: कुनर, खाटू श्याम, राजनीति
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