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2.3.11

सिकुड़ गई है कमाई

डिब्बी से डिब्बे
और
कनस्तर से पीपे
तक ,रसोई के
कौने कौने में
फ़ैल गई महंगाई,
जिन्दगी की तरह
पल पल सिकुड़
रही है
आम आदमी की कमाई।

1 comment:

Shalini kaushik said...

vastvik abhivyakti..