हर चाल मैं चलता हूँ ,चुनाव जीत जाऊं ;
मैं नोट बांटता हूँ ,मदिरा भी मैं पिलाऊं ;
यूँ हाथ जोड़ता हूँ पर दंगें भी कराऊँ ;
क्या-क्या हैं करामातें !अब और क्या बताऊँ ?
शिखा कौशिक
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
3 comments:
बहुत पैने कटाक्ष कर रही हैं आप.बहुत खूब..
achchha vyangy
behtar tanz.
shukriya.
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