रेल बजट में पैसे आवंटित नहीं होने के लिये यदि कोई दोषी हें तो वे हैं बालाघाट सिवनी के सांसद के.डी. देशमुख
इन दिनों दो ही किसान पुत्र चर्चित हैं। एक प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और दूसरे विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह। प्रदेश में पिछले चार महीनों से किसान आत्म हत्या कर रहें हैं। बुन्देलखंड़ से शुरू हुआ यह सिलसिला सिवनी जिले तक आ गया है। इस दौरान प्रदेश के 90 किसान आत्म हत्या कर चुके हैं। एक ने संवेदना व्यक्त करने जाने से पहले अखबारों में जगह रुकवायी तो दूसरे की सरकार ने बिना मुआवजा बांटे इस आत्म हत्या को आर्थिक तंगी के कारण हुयी घटना मानने से इंकार कर दिया।ममता के तीसरे रेल बजट में भी सिवनी को कोई ऐसी सौगात नहीं मिली हैं जिसकी प्रशंसा की जा सके। ममता ने जिले की दोनों महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं पर भले ही कोई ठोस कार्यवाही ना की हो लेकिन इनका बजट में उल्लेख कर पूरी तरह निराश भी नहीं किया हैं। इस रेल बजट में पैसे आवंटित नहीं होने के लिये यदि कोई दोषी हें तो वे हैं बालाघाट सिवनी के सांसद के.डी. देशमुख। जिन्होंने बालाघाट की रेल परियोजनाओं के लिये तो प्रयास किये लेकिन सिवनी जिले की मांगों की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के नेतृत्व में आयोजित इस हाकी प्रतियोगिता के लियेसभी पार्षद भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने सर्वसम्मति से प्रस्तावित पास कर इस आयोजन हेतु राशि का प्रावधान कराया। इस मौके पर नगर के हालात पर चर्चा कर नरेश द्वारा राजेश को दी गई नसीहत जिले के राजनैतिक हल्कों चर्चित है।
किसानों की आत्महत्या पर भाजपा और इंका कर रही हैं राजनीति -इन दिनों दो ही किसान पुत्र चर्चित हैं। एक प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और दूसरे विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह। प्रदेश में पिछले चार महीनों से किसान आत्म हत्या कर रहें हैं। बुन्देलखंड़ से शुरू हुआ यह सिलसिला सिवनी जिले तक आ गया है। इस दौरान प्रदेश के 90 किसान आत्म हत्या कर चुके हैं। सरकार अपना पक्ष रख कर चुप हो जाती हैं और विपक्ष विज्ञप्ति जारी कर अपने कत्तZव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। सिवनी जिले में आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या करने का यह पहला मामला हैं जब एक युवा आदिवासी किसान ने अपने ही खेत के एक झाड़ पर गमछे से फांसी लगा कर अपनी जान गंवा दी है।अस्पताल में किसी और को देखने गये हरवंश सिंह को जैसे ही यह पता चला तो वे तुरन्त ही सान्त्वना देने रवाना हो गये। रवाना हानें पहले अखबारों के दफ्तरो में फोन करवाया गया कि जगह बचा कर रखना अभी समाचार भेजते हैं। इतने बड़े कद के नेता और वो भी उस कांग्रेस के जिस पार्टी ने हमेशा आदिवासियों की सेवा की हैं का उनके प्रति ऐसा रुझान ही इस वर्ग को कांग्रेस ेस दूर ले जा रहा हैं। कहा तो यह भी जा रहर हैं कि जब हरवंश सिंह अस्पताल पहुचें थे तब मृतक कृषक का शव पोस्टमार्टम होकर उसके गृह ग्राम के लिये रवाना हो चुका था। कांग्रेस के किसान पुत्र ने यदि संवेदना व्यक्त करने का नाटक किया तो भाजपायी किसानपुत्र शिवराज सिंह की सरकार ने भी कम कमाल नहीं दिखाया। सरकारी विज्ञप्ति में आर्थिक तंगी के कारण मृत्यु होने को नकार दिया गया हैं। मृतक की पारिवारिक कृषि भूमि का हवाला दिया गया है और यह भी उल्लेख किया गया हैं कि उसके परिवार का फसल नुकसानी का मुआवजा 36690 रु. बनाया गया है। इससरकारी विज्ञप्ति से यह साफ हो जाता हैं कि मुआवजा बनाया गया तो हैं लेकिन बांटा नहीं गया हैं अन्यथा सरकारी विज्ञप्ति में बचाव में मुआवजा बनाये जाने का उल्लेख करने के बजाय बाकायदा चेक नंबंर दिये जाते। एक युवा आदिवासी किसान की आत्महत्या को स्वीकार कर भविष्य में पुनरावृत्ति ना होने के उपाय करने के बाजय सरकार ने बेशर्मी की हदें पार करते हुये इसे आर्थिक तंगी से हुयी मौत मानने से इंकार कर दिया। किसान पुत्र शिवराज सिंह के कृषि मन्त्री किसानों की आत्महत्या को किसानों के पाप की सजा बताते हैं और किसान पुत्र शिवराज मूक दर्शक बने बैठे रहते हैं। प्रदेश में आज जरूरत इस बात की हैं कि इस बात की चिन्ता की जाये कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहें हैं और इसे कैसे रोका जा सकता हैं। वरना यह सिलसिला चलते रहेगा और नेताओं की नौटंकी भी बदस्तूर जारी रहेगी।
सांसद के.डी. की लापरवाही से रेल बजट में सिवनी की हुयी उपेक्षा-ममता के तीसरे रेल बजट में भी सिवनी को कोई ऐसी सौगात नहीं मिली हैं जिसकी प्रशंसा की जा सके। ममता ने जिले की दोनों महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं पर भले ही कोई ठोस कार्यवाही ना की हो लेकिन इनका बजट में उल्लेख कर पूरी तरह निराश भी नहीं किया हैं। अपने बजट में उन्होंने रामटेक बरास्ता सिवनी गोटेगांव नयी रेल परियोजना और छिन्दवाड़ा सिवनी नैनपुर मंड़ला फोर्ट के गेज कन्वर्शन का उल्लेखकरते हुये कहा हैं कि दोनों परियोजनाओं का सर्वे कार्य मार्च 2011 तक पूरा हो जावेगा और बारहवी पंचवषीZय योजना में इनका कार्य प्रारंभ हो जावेगा। इस रेल बजट में पैसे आवंटित नहीं होने के लिये यदि कोई दोषी हें तो वे हैं बालाघाट सिवी के सांसद के.डी. देशमुख। जिन्होंने बालाघाट की रेल परियोजनाओं के लिये तो प्रयास किये लेकिन सिवनी जिले की मांगों की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया। चुनाव के समय तो देशमुख ने सिवनी के लिये बड़ी बड़ी बातें की थीं लेकिन चुनावके बाद उन्हें बालाघाट जिले के 6 विधानसभाओं का ही ख्याल रह रहा हैं सिवनी की उन दो विधानसभाओं का उन्हें कोई ख्याल ही नहीं हैं जिन्होने उन्हे भारी वोटों से जिताया था। के.डी. को यह भी याद रखना चाहिये किसिवनी जिले का यह भी इतिहास रहा हें कि जिले का एक विधानसभा क्षेत्र ही मंड़ला के सात विधानसभा क्षेत्रों की भरपायी करके भाजपा को धूल चटा देता था। 1980 के दशक में मंड़लासंसदीय क्षेत्र में जिले के घंसौर विधानसभा क्षेत्र के ऐसा कमाल कर दिखाया था।मंड़ला की सातों सीटों से जीतने वाली भाजपा मात्र घंसौर की हार से पूरी लोकसभा हार जाती थी। सिवनी के दोनों विधानसभा क्षेत्रों ने यदि ठान ली तो अगले चुनाव में के.डी. भाऊ की बालाघाट की 6 साीटों के परिणाम को बदलने में कोई देर नहीं लगने वाली हैं।
इन दिनों दो ही किसान पुत्र चर्चित हैं। एक प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और दूसरे विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह। प्रदेश में पिछले चार महीनों से किसान आत्म हत्या कर रहें हैं। बुन्देलखंड़ से शुरू हुआ यह सिलसिला सिवनी जिले तक आ गया है। इस दौरान प्रदेश के 90 किसान आत्म हत्या कर चुके हैं। एक ने संवेदना व्यक्त करने जाने से पहले अखबारों में जगह रुकवायी तो दूसरे की सरकार ने बिना मुआवजा बांटे इस आत्म हत्या को आर्थिक तंगी के कारण हुयी घटना मानने से इंकार कर दिया।ममता के तीसरे रेल बजट में भी सिवनी को कोई ऐसी सौगात नहीं मिली हैं जिसकी प्रशंसा की जा सके। ममता ने जिले की दोनों महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं पर भले ही कोई ठोस कार्यवाही ना की हो लेकिन इनका बजट में उल्लेख कर पूरी तरह निराश भी नहीं किया हैं। इस रेल बजट में पैसे आवंटित नहीं होने के लिये यदि कोई दोषी हें तो वे हैं बालाघाट सिवनी के सांसद के.डी. देशमुख। जिन्होंने बालाघाट की रेल परियोजनाओं के लिये तो प्रयास किये लेकिन सिवनी जिले की मांगों की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के नेतृत्व में आयोजित इस हाकी प्रतियोगिता के लियेसभी पार्षद भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने सर्वसम्मति से प्रस्तावित पास कर इस आयोजन हेतु राशि का प्रावधान कराया। इस मौके पर नगर के हालात पर चर्चा कर नरेश द्वारा राजेश को दी गई नसीहत जिले के राजनैतिक हल्कों चर्चित है।
किसानों की आत्महत्या पर भाजपा और इंका कर रही हैं राजनीति -इन दिनों दो ही किसान पुत्र चर्चित हैं। एक प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया शिवराजसिंह चौहान और दूसरे विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस के विधायक हरवंश सिंह। प्रदेश में पिछले चार महीनों से किसान आत्म हत्या कर रहें हैं। बुन्देलखंड़ से शुरू हुआ यह सिलसिला सिवनी जिले तक आ गया है। इस दौरान प्रदेश के 90 किसान आत्म हत्या कर चुके हैं। सरकार अपना पक्ष रख कर चुप हो जाती हैं और विपक्ष विज्ञप्ति जारी कर अपने कत्तZव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। सिवनी जिले में आर्थिक तंगी से परेशान होकर आत्महत्या करने का यह पहला मामला हैं जब एक युवा आदिवासी किसान ने अपने ही खेत के एक झाड़ पर गमछे से फांसी लगा कर अपनी जान गंवा दी है।अस्पताल में किसी और को देखने गये हरवंश सिंह को जैसे ही यह पता चला तो वे तुरन्त ही सान्त्वना देने रवाना हो गये। रवाना हानें पहले अखबारों के दफ्तरो में फोन करवाया गया कि जगह बचा कर रखना अभी समाचार भेजते हैं। इतने बड़े कद के नेता और वो भी उस कांग्रेस के जिस पार्टी ने हमेशा आदिवासियों की सेवा की हैं का उनके प्रति ऐसा रुझान ही इस वर्ग को कांग्रेस ेस दूर ले जा रहा हैं। कहा तो यह भी जा रहर हैं कि जब हरवंश सिंह अस्पताल पहुचें थे तब मृतक कृषक का शव पोस्टमार्टम होकर उसके गृह ग्राम के लिये रवाना हो चुका था। कांग्रेस के किसान पुत्र ने यदि संवेदना व्यक्त करने का नाटक किया तो भाजपायी किसानपुत्र शिवराज सिंह की सरकार ने भी कम कमाल नहीं दिखाया। सरकारी विज्ञप्ति में आर्थिक तंगी के कारण मृत्यु होने को नकार दिया गया हैं। मृतक की पारिवारिक कृषि भूमि का हवाला दिया गया है और यह भी उल्लेख किया गया हैं कि उसके परिवार का फसल नुकसानी का मुआवजा 36690 रु. बनाया गया है। इससरकारी विज्ञप्ति से यह साफ हो जाता हैं कि मुआवजा बनाया गया तो हैं लेकिन बांटा नहीं गया हैं अन्यथा सरकारी विज्ञप्ति में बचाव में मुआवजा बनाये जाने का उल्लेख करने के बजाय बाकायदा चेक नंबंर दिये जाते। एक युवा आदिवासी किसान की आत्महत्या को स्वीकार कर भविष्य में पुनरावृत्ति ना होने के उपाय करने के बाजय सरकार ने बेशर्मी की हदें पार करते हुये इसे आर्थिक तंगी से हुयी मौत मानने से इंकार कर दिया। किसान पुत्र शिवराज सिंह के कृषि मन्त्री किसानों की आत्महत्या को किसानों के पाप की सजा बताते हैं और किसान पुत्र शिवराज मूक दर्शक बने बैठे रहते हैं। प्रदेश में आज जरूरत इस बात की हैं कि इस बात की चिन्ता की जाये कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहें हैं और इसे कैसे रोका जा सकता हैं। वरना यह सिलसिला चलते रहेगा और नेताओं की नौटंकी भी बदस्तूर जारी रहेगी।
सांसद के.डी. की लापरवाही से रेल बजट में सिवनी की हुयी उपेक्षा-ममता के तीसरे रेल बजट में भी सिवनी को कोई ऐसी सौगात नहीं मिली हैं जिसकी प्रशंसा की जा सके। ममता ने जिले की दोनों महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाओं पर भले ही कोई ठोस कार्यवाही ना की हो लेकिन इनका बजट में उल्लेख कर पूरी तरह निराश भी नहीं किया हैं। अपने बजट में उन्होंने रामटेक बरास्ता सिवनी गोटेगांव नयी रेल परियोजना और छिन्दवाड़ा सिवनी नैनपुर मंड़ला फोर्ट के गेज कन्वर्शन का उल्लेखकरते हुये कहा हैं कि दोनों परियोजनाओं का सर्वे कार्य मार्च 2011 तक पूरा हो जावेगा और बारहवी पंचवषीZय योजना में इनका कार्य प्रारंभ हो जावेगा। इस रेल बजट में पैसे आवंटित नहीं होने के लिये यदि कोई दोषी हें तो वे हैं बालाघाट सिवी के सांसद के.डी. देशमुख। जिन्होंने बालाघाट की रेल परियोजनाओं के लिये तो प्रयास किये लेकिन सिवनी जिले की मांगों की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया। चुनाव के समय तो देशमुख ने सिवनी के लिये बड़ी बड़ी बातें की थीं लेकिन चुनावके बाद उन्हें बालाघाट जिले के 6 विधानसभाओं का ही ख्याल रह रहा हैं सिवनी की उन दो विधानसभाओं का उन्हें कोई ख्याल ही नहीं हैं जिन्होने उन्हे भारी वोटों से जिताया था। के.डी. को यह भी याद रखना चाहिये किसिवनी जिले का यह भी इतिहास रहा हें कि जिले का एक विधानसभा क्षेत्र ही मंड़ला के सात विधानसभा क्षेत्रों की भरपायी करके भाजपा को धूल चटा देता था। 1980 के दशक में मंड़लासंसदीय क्षेत्र में जिले के घंसौर विधानसभा क्षेत्र के ऐसा कमाल कर दिखाया था।मंड़ला की सातों सीटों से जीतने वाली भाजपा मात्र घंसौर की हार से पूरी लोकसभा हार जाती थी। सिवनी के दोनों विधानसभा क्षेत्रों ने यदि ठान ली तो अगले चुनाव में के.डी. भाऊ की बालाघाट की 6 साीटों के परिणाम को बदलने में कोई देर नहीं लगने वाली हैं।
समापन समारोह में राजेश को दी नरेश ने नसीहत-नगर पालिका परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय गोल्डकप हाकी प्रतियोगिता का समापन हो गया। पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी और उपाध्यक्ष राजिक अकील के नेतृत्व में आयोजित इसहाकी प्रतियोगिता के लियेसभी पार्षद भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने सर्वसम्मति से प्रस्तावित पास कर इस आयोजन हेतु राशि का प्रावधान कराया। नगर के हाकी प्रेमियों के लिये यह एक सुखद आयोजन रहा वहीं दूसरी ओर भाजपा की आन्तरिक गुटबाजी से पेरशान पालिका अध्यक्ष राजेश को इस सफल आयोजन और उसमें शिरकत करने वाले भाजपा नेताओं की उपस्थिति से मजबूती मिली हैं। भाजपा में गुटबाजी का आलम यह हैं कि अब वह खुले आम देखी जा सकती हैं। इसकाएक उदाहरण तो समापन समारोह के मंचीय उदबोधनों के दौरान ही देखने को मिल गया। सिवनी के पूर्व भाजपा विधायक नरेश का मंच पर सम्मान किया गया। यह सम्मान उनके कार्यकाल में खेलों के लिये गये प्रोत्साहन को लेकर किया गया। एक सम्मान जिला हाकी संध ने तो दूसरा सम्मान विभिन्न क्लबों के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। सम्मान होने के बाद जब संबोधन के लिये नरेश दिवाकर को बुलाया गया तब उन्होंने ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बिना संकोच किये इस सफल आयोजन के लिये पालिका अध्यक्ष राजेश त्रिवेदी की तारीफ भी की और बधाई भी दी। लेकिन साथ ही यह नसीहत भी दे डाली कि राजेश जी को अब नगर की साफ सफाई और उसे सुन्दर बनाने के कत्तZव्य की पूर्ति करने भी इसी लगन के साथ जुट जाना चाहिये। इस मौके पर नगर के हालात पर चर्चा कर नरेश द्वारा राजेश को दी गई नसीहत जिले के राजनैतिक हल्कों चर्चित है।
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