साहब हुआ कुछ ऐसा कि मनमोहन सिंग साहब ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी साहब को शांती पुरूष करार दिया। बस क्या था पूरे देश में हल्ला मच गया। लोग पानी पी पी कर कोसने लगे, कोई प्रधानमंत्री की इज्जत अफ़जाई कर रहा था और कोई पाकिस्तान को लानते भेजने में लगा था। कांग्रेस पार्टी की गिरी हुयी टीआरपी अजमल कसाब के बराबर पहुंच गयी। आनन फ़ानन में कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक हुयी, पाकिस्तान से अगली वार्ता सर पर थी और समस्या गंभीर थी। किसी ने सुझाव दिया कि भाई दवे जी नाम के एक फ़ोकटचंद सलाहकार हैं उनसे राय ली जाये।
बुलावा मिलते ही हम तड़ से पहुंच गये, समस्या सुनकर हमने कहा - " आप हमे मुख्यवार्ताकार बना दीजिये हम मामला संभाल लेंगे।" कांग्रेस के मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे - " इस अनुभव हीन आदमी को वार्ताकार बनाना, क्या बेवकूफ़ी की बात है, इसे कूटनीती का क भी नही आता होगा।" हमने देश की प्रधानमम्मी से कहा - "मम्मी जी, ये सब इतने शिवाजी पाले हैं आपने, क्या हालत कर दी है आपकी इन लोगो ने। आज शनी भगवान चाहें तो भी आपकी पार्टी की इससे ज्यादा दुर्गती नही कर सकते, हमको मौका दीजिये हम सब संभाल लेंगे।" लंबी जद्दोजहद के बाद हमारा नाम तय हुआ, हमारे नाम की घोषणा होते ही पत्रकारों ने हमे घेर लिया।
एक ने पूछा - " इस बातचीत से आपकी क्या उम्मीदें हैं।"
हमने कहा - " पाकिस्तान से किसी बातचीत का कोई फ़ायदा नही।"
अचकचाये पत्रकार ने पूछा- " फ़िर आप बातचीत क्यों करने जा रहे हैं"
हमने कहा- " ताकि अमेरिका की आत्मा को शांती मिले "
हड़बड़ाये कॄष्णा साहब कोई दखल देते इसके पहले ही हमने अगली लाईन जड़ दी- " जब तक वार्ता में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और आई एस आई प्रमुख न होंगे, हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे। और अगर पाकिस्तान नही सुधरता तो हमें सुधारना भी आता है।"
हमारे इस बयान के बाद कांग्रेस मुख्यालय से लेकर अमेरिका तक कूटनीतिक धमाका हो गया। चारों ओर से दबाव पड़ने लगा, प्रधानमम्मी पर उनके मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे- " देखा मम्मी जी, हम न कहते थे, आपने किसी भी रोडछाप आदमी को वार्ताकार बनाकर भूल कर दी है।" भारी दबाव में आयी प्रधानमम्मी ने हमें फ़ोन लगाया - " दवे जी आप ने ये क्या कर दिया, पहले ही हम इतनी मुसीबत में हैं और अब ये नया संकट आ खड़ा हुआ है।" हमने कहा - "मम्मी जी आप कल सुबह तक इंतजार करें, अभी आप तनाव न लीजिये।"
अगले दिन सुबह अखबारों की हेडलाईन -
टाईम्स आफ़ इंडिया - " भारत का मुंहतोड़ जवाब", द हिंदू - " चौसठ साल बाद उठाया सही कदम", दैनिक जागरण - "सकते में पाकिस्तान", दैनिक भास्कर - "प्रधानमम्मी का सही कदम, इंदिरा गांधी की यादे ताजा"
राजनैतिक दलो के बयान
भाजपा- "कमजोर प्रधानमम्मी ने देर से सही कदम उठाया"
कम्यूनिस्ट पार्टी - " अमेरिका के दबाव मे न आकर, हमें कदम पीछे नही खीचना चाहिये",
संघ - "प्रधान मम्मी के अगले कदम की प्रतीक्षा, साहस पूर्ण सही कदम"
विभिन्न देशों के बयान
अमेरिका - " भारत और पाकिस्तान की समस्या बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझ सकती है"
ब्रिटेन - "परमाणू शक्ति संपन्न देशो को संयम से आपसी संबंध सुधारने चाहिये"
चीन - "चीन पाकिस्तान का अभिन्न मित्र है, संकट की घड़ी मे हम पाकिस्तान का पूरा साथ देंगे"
बुलावा मिलते ही हम तड़ से पहुंच गये, समस्या सुनकर हमने कहा - " आप हमे मुख्यवार्ताकार बना दीजिये हम मामला संभाल लेंगे।" कांग्रेस के मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे - " इस अनुभव हीन आदमी को वार्ताकार बनाना, क्या बेवकूफ़ी की बात है, इसे कूटनीती का क भी नही आता होगा।" हमने देश की प्रधानमम्मी से कहा - "मम्मी जी, ये सब इतने शिवाजी पाले हैं आपने, क्या हालत कर दी है आपकी इन लोगो ने। आज शनी भगवान चाहें तो भी आपकी पार्टी की इससे ज्यादा दुर्गती नही कर सकते, हमको मौका दीजिये हम सब संभाल लेंगे।" लंबी जद्दोजहद के बाद हमारा नाम तय हुआ, हमारे नाम की घोषणा होते ही पत्रकारों ने हमे घेर लिया।
एक ने पूछा - " इस बातचीत से आपकी क्या उम्मीदें हैं।"
हमने कहा - " पाकिस्तान से किसी बातचीत का कोई फ़ायदा नही।"
अचकचाये पत्रकार ने पूछा- " फ़िर आप बातचीत क्यों करने जा रहे हैं"
हमने कहा- " ताकि अमेरिका की आत्मा को शांती मिले "
हड़बड़ाये कॄष्णा साहब कोई दखल देते इसके पहले ही हमने अगली लाईन जड़ दी- " जब तक वार्ता में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष और आई एस आई प्रमुख न होंगे, हम पाकिस्तान से बात नहीं करेंगे। और अगर पाकिस्तान नही सुधरता तो हमें सुधारना भी आता है।"
हमारे इस बयान के बाद कांग्रेस मुख्यालय से लेकर अमेरिका तक कूटनीतिक धमाका हो गया। चारों ओर से दबाव पड़ने लगा, प्रधानमम्मी पर उनके मुंशी मैनेजर चढ़ बैठे- " देखा मम्मी जी, हम न कहते थे, आपने किसी भी रोडछाप आदमी को वार्ताकार बनाकर भूल कर दी है।" भारी दबाव में आयी प्रधानमम्मी ने हमें फ़ोन लगाया - " दवे जी आप ने ये क्या कर दिया, पहले ही हम इतनी मुसीबत में हैं और अब ये नया संकट आ खड़ा हुआ है।" हमने कहा - "मम्मी जी आप कल सुबह तक इंतजार करें, अभी आप तनाव न लीजिये।"
अगले दिन सुबह अखबारों की हेडलाईन -
टाईम्स आफ़ इंडिया - " भारत का मुंहतोड़ जवाब", द हिंदू - " चौसठ साल बाद उठाया सही कदम", दैनिक जागरण - "सकते में पाकिस्तान", दैनिक भास्कर - "प्रधानमम्मी का सही कदम, इंदिरा गांधी की यादे ताजा"
राजनैतिक दलो के बयान
भाजपा- "कमजोर प्रधानमम्मी ने देर से सही कदम उठाया"
कम्यूनिस्ट पार्टी - " अमेरिका के दबाव मे न आकर, हमें कदम पीछे नही खीचना चाहिये",
संघ - "प्रधान मम्मी के अगले कदम की प्रतीक्षा, साहस पूर्ण सही कदम"
विभिन्न देशों के बयान
अमेरिका - " भारत और पाकिस्तान की समस्या बातचीत और सामंजस्य से ही सुलझ सकती है"
ब्रिटेन - "परमाणू शक्ति संपन्न देशो को संयम से आपसी संबंध सुधारने चाहिये"
चीन - "चीन पाकिस्तान का अभिन्न मित्र है, संकट की घड़ी मे हम पाकिस्तान का पूरा साथ देंगे"
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