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24.11.11

सही तरीका अपनाएं विरोध का - अब फैसला आपके हाथ में है


सही तरीका अपनाएं विरोध का - अब फैसला  आपके हाथ में है
दिल्ली में केंद्रीय मंत्री शरद पवार पर हमला
सभी भारतीयों को शरद पावर जी पर किये गए हमले की आलोचना ही करनी चाहिए .महगाई को लेकर सभी त्रस्त हैं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हम देश का कानून हाथ में ले लें .ये कोई तरीका नहीं है विरोध करने का .जूता अरविन्द केजरीवाल पर उछाला गया हो अथवा चिदंबरम पर -दोनों ही घटनाएँ भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी थी .अन्ना जैसे महान समाज सेवी का शरद जी के साथ हुए अशोभनीय व्यवहार पर यह कहना कि-''एक ही थप्पड़ मारा ?उनका ऐसी घटनाओं को अपना समर्थन देना है जो आगे चलकर घातक रूप ग्रहण कर सकती हैं .अन्ना क्या यह बता पाएंगे कि यदि कल को सभी असंतुष्ट युवक ऐसा ही हिंसक कार्य करने हेतु निकल पड़े तो कौन जिम्मेदारी लेगा ? ये ठीक है कि हम विरोध करें पर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ करके तो नहीं . मुलायम सिंह जी ने इस घटना की निंदा तो कि पर यह कहकर भ्रमित युवाओं को ऐसा पुन: करने के लिए प्रोत्साहित भी कर दिया कि -' महगाई को लेकर देश के युवाओं में गुस्सा है '' .भारतीय जनता पार्टी  ने भी मुलायम सिंह जी के बयान का समर्थन कर देश के युवाओं को भ्रमित करने का कार्य किया है .हम सभी जानते हैं कि अवसरवादी नेता इस समय ऐसे आक्रोश को बढ़ावा देकर अपना ही उल्लू सीधा करेंगें पर सत्ता में आकर वे भी यही करेंगें .
                          भारतीय युवा आज बेरोजगारी के दंश से बुरी तरह त्रस्त है .कोई भी राजनैतिक दल अपने फायदे  के लिए युवा वर्ग को बहका सकता है .सावधान व् सतर्क रहने की आवश्यकता है .हमें वर्तमान समस्याओं को सुलझाना है पर अपने भविष्य को दाव पर लगाकर नहीं .एक मंत्री पर हमला कर देने अथवा चप्पल-जूते फेंक देने से यह समस्याएं सुलझने वाली नहीं है .इसके लिए  योजनाबद्ध तरीके से अहिंसात्मक आन्दोलन की आवश्यकता है .दुःख की बात यह है कि स्वयं को गाँधी जी का अनुयायी कहने वाले अन्ना ने इस हिंसात्मक घटना पर चुटकी कैसे ली ?जबकि जन-लोकपाल बिल के समर्थन में उन्होंने स्वयं गाँधी जी के अहिंसा के मार्ग की सफलता को परख लिया है .अब फैसला आपके हाथ में है .किसी पर भी अंध  विश्वास न करें .सही तरीका अपनाएं विरोध का .

                                                                 जय हिंद !जय भारत !
                                                                           शिखा कौशिक 
                                                       [विचारों का चबूतरा ]

4 comments:

Shri Sitaram Rasoi said...

यह सत्य है कि किसी नेता को थप्पड़ नहीं मारना चाहिये। उसे शाबाशी भी नहीं देना चाहिये। हां अगले इलेक्शन में बुद्धिजीवी, पढ़े लिखे लोगों को शत प्रतिशत मतदान करके साबित कर देना चाहिये कि असली वोट बैंक हम हैं। ताकि नेता अपनी खाल में रह सकें देश के विकास पर ध्यान दें।
डॉ. ओम

Rajendra Kumar Singh said...

देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी आज भी चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह आदि को आतंकवादी देशद्रोही इत्यादि की उपाधि से सम्मानित करते रहते हैं. ये किसके लिए आतंकवादी या देशद्रोही थे आप स्वयं विचार करें...

Unknown said...

मन में तो भारतीय खुश है मगर दिखाने के लिए ,लिखने के लिए भत्सर्ना आवश्यक है ,शायद यह गलत भी हो सकता है.

Unknown said...

आप का लेख पढ़ा साथ ही लेख पर तिन व्यक्तियों के कमेन्ट भी लेख अच्छा लिखा इस पर मेरा कहना है कि हमारे देश का लगभग सारा सिस्टम लड़खड़ा गया है, चाहे वह कई भी जिवी हो आज जनता का अपने नेताओं पर इतना आक्रोश भर गया है, कि वह अपनी सभी सिमाऐ लांघ चुका है। आज सिर्फ हम एक व्यक्ति की बात कर रहें है लेकिन अगर यही हाल रहा तो निश्चित है आने वाले भविष्य मे इस तरह की घटनाऐ आम बात हो जायेंगी।