दो बेचारे !
पहला पी .एम् . बनकर पछता रहा ;
दुसरे को पी .एम् . न बनने का गम खा रहा ;
दूसरे को पहले पर ''दया '' आ रही
और हम को दोनों पर रोना आ रहा .
शिखा कौशिक
[नेता जी क्या कहते हैं ]
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
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